2 दिसम्बर 2015 को बुधवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: दक्षिण, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु.मास: सफर-19, ऋतु: हेमन्त, मास: मार्गशीर्ष, पक्ष: कृष्ण है। शुभ तिथि: सप्तमी भद्रा संज्ञक तिथि अर्द्घरात्रि 12.05 तक, तदन्तर अष्टमी जया संज्ञक तिथि रहेगी। सप्तमी तिथि में विवाहादि मांगलिक कार्य, उपनयन, गीत-संगीत-नृत्य-कला, वस्त्रालंकार, यात्रा, सवारी, वास्तु-गृहारम्भ व प्रवेशादि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। अष्टमी तिथि में विवाह, नाचना-गाना, शय्या, रत्नालंकार, युद्ध, वस्त्रधारण व वास्तुकर्म आदि कार्य शुभ कहे गए हैं।
सप्तमी तिथि में जन्मा जातक धनवान, प्रतिभाशाली, कलाकार, सुन्दर व मान-सम्मान पाने वाला होता है। नक्षत्र: मघा नक्षत्र अन्तरात्रि अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रात: 6.23 तक, तदन्तर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। मघा नक्षत्र में यथाआवश्यक विवाहादि मांगलिक कार्य, साहसिक कार्य, पैतृक कार्य, वृक्ष, बीजादिरोपण, तालाब, कुआं आदि बनवाना व शत्रुमर्दन आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। मघा नक्षत्र में जन्मा जातक सामान्यत: धनवान, खुशहाल, माता-पिता की सेवा करने वाला, चतुर, व्यवहार कुशल, योजनाकार, कामलोलुप, अस्थिर चित्त वाला तथा अत्यन्त साहसी होता है। इनका भाग्योदय लगभग 25 वर्ष की पश्चात ही होता है।
योग: वैधृति नामक अत्यन्त बाधाकारक अशुभ योग अन्तरात्रि अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रात: 6.48 तक, तदुपरान्त विष्कुंभ नामक योग रहेगा। वैधृति नामक योग में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य सर्वथा वर्जित हैं। करण: विष्टि नाम करण पूर्वाह्न 11.08 तक, तदन्तर बवादि करण रहेंगे। भद्रा संज्ञक विष्टि करण में शुभ व मांगलिक कार्य यथासंभव वर्जित रखने चाहिए। चंद्रमा: सम्पूर्ण दिवा रात्रि सिंह राशि में रहेगा। परिवर्तन: प्लूटो दोपहर बाद 2.28 पर पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश करेगा। व्रतोत्सव: बुधवार को वैधृति पुण्यं व चेहलम (मु.) आदि व्रतोत्सव हैं।
शुभकार्यारम्भ मुहूर्त: उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार बुधवार को मघा नक्षत्र में यथा आवश्यक अतिआवश्यकता में (भद्रा व वैधृति दोष युक्त) विवाह का अशुद्ध मुहूर्त है। अन्य किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है। वारकृत्य कार्य: बुधवार को सामान्यत: लेखन, प्रकाशन, शिक्षा-दीक्षा, साहित्यारम्भ, विद्यादि कार्य, कला विषयक कार्य, व्यायाम, क्रीड़ा, हिसाब-किताब, बैंकिंग कार्य, बही-खाता, मैत्री, संधि, साझेदारी आदि और नोटिस देना या प्रार्थनापत्र प्रस्तुत करना आदि कार्य करने चाहिए। दिशाशूल: बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। अति आवश्यकता की स्थिति में तिल खाकर यात्रा पर प्रस्थान कर लेना चाहिए। चन्द्र स्थिति के अनुसार पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।