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बेटे की फिल्म की रिलीज पर इमोशनल हुए सनी देओल, बोले- ‘काश!

62 साल के हो चुके सनी देओल को विरासत में शराफत मिली है। अपने पिता की ही तरह वह भी हमेशा परिचितों से बाहें फैलाकर मिलते हैं। चेहरे पर मोहक मुस्कान ओढ़े रहते हैं और इन दिनों अपने संसदीय क्षेत्र की जनता की सेवा के लिए भागदौड़ भी खूब लगाते हैं। लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने अपने बेटे करण देओल की फिल्म लटकाई और संसदीय क्षेत्र में हादसा हुआ तो बेटे की पहली फिल्म का ट्रेलर लॉन्च छोड़ उन लोगों के पास पहुंच गए।

निर्देशक पहली बार आप अपने छोटे भाई के लिए फिल्म दिल्लगी में बने, अब ठीक 20 साल बाद बतौर निर्देशक आपकी फिल्म पल पल दिल के पास रिलीज होने जा रही है, जिसमें आपके बेटे हीरो हैं, करण की लॉन्चिंग में देर तो नहीं कर दी आपने?
इन दोनों फिल्मों के बीच मैंने घायल वंस अगेन निर्देशित की थी, उस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही करण को लेकर मैंने सोच विचार शुरू कर दिया था। उस फिल्म के बनते बनते ही मैंने यह निर्णय ले लिया था कि अब अपनी अगली फिल्म में बेटे को लॉन्च करना है। फिर कहानी पर काम शुरू हुआ। उसने काफी वक्त लिया। हिमाचल प्रदेश में हमने बहुत शूटिंग की है इस फिल्म के लिए, वहां भी काफी ज्यादा समय लग गया। मौसम की धूप छांव ने काफी रंग दिखाया तो बस इसी सब में समय लग गया।

दिल्लगी में बॉबी देओल को निर्देशित करना आसान रहा या पल पल दिल के पास में करण देओल को?
मुझे लगता है कि कोई काम आसान या मुश्किल नहीं होता। उस वक्त बात और थी। पहली बार निर्देशन कर रहा था। इतना ज्यादा कैमरे के पीछे की बातों के बारे में पता भी नहीं था। अभिनेता से निर्देशक बन रहा था तो वह फिल्म थोड़ा ज्यादा मुश्किल रही मेरे लिए बतौर निर्देशक। अब मैं इस पेशे में भी पूरी तरह मंझ चुका हूं। हमने फिल्म की शूटिंग की पूरी योजना पहले ही बना ली और काफी विस्तार से बनाई। किसी काम को करने में आपकी उसे शुरू करने के पहले की तैयारी काम आती ही है। हां, इस बार भी मुश्किलें जरूर सामने आईं लेकिन वह अलग तरह की मुश्किलें थीं।

फिल्म इंडस्ट्री में शूटिंग के दौरान कलाकारों और निर्देशकों के बीच अनबन की बातें आम हैं, कभी कुछ ऐसा बॉबी या करण को निर्देशित करने के साथ हुआ हो?
मैं निर्देशक के तौर पर स्कूल मास्टर जैसा बर्ताव नहीं करता। एक निर्देशक का काम है अपनी फिल्म के हर कलाकार से उसका बेहतरीन काम करवाना। एक निर्देशक को ये पता होना चाहिए कि उसके साथ काम कर रहा अभिनेता या अभिनेत्री किस हुनर का मास्टर है, उसका बेहतरीन प्रदर्शन ही एक निर्देशक की कसौटी है। मैं मानता हूं कि कभी कभी कलाकारों और निर्देशक के बीच बहस भी हो जाती है और वह मेरे नजरिए से सही भी है। निर्देशक को हमेशा नए विचारों के लिए अपना दिल और दिमाग खुला रखना चाहिए तभी किसी बात को लेकर अलग अलग नजरिए समझ आते हैं। अभिनेता और निर्देशक के नजरिए अलग हो सकते हैं और दोनों को इस बारे में खुलकर बात करनी ही चाहिए।

शूटिंग के दौरान कभी ऐसा भी मौका आया क्या जब करण को लगा हो कि निर्देशक तो पापा ही हैं, तो कुछ भी कर लेता हूं?
साथ में काम करना फिल्म बनाने का सबसे स्वस्थ तरीका है लेकिन, रिश्तों का फायदा उठाने की योजना बनाने वाले कभी सफल नहीं होते। जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि मैं शूटिंग के वक्त किसी को अनुशासन सिखाने में ध्यान नहीं देता हूं। मेरा बस यही कहना होता है कि जो भी सीन शूट होने जा रहा है, उसमें अभिनेता को अपने भीतर के कलाकार का बेहतरीन प्रदर्शन करना होता है। काम को निपटाने के लिए करने की सिनेमा में कोई जगह नहीं है। यहां या तो आपको अपना बेस्ट देना होता है या फिर आप कुछ नहीं दे पाते हैं।

फिल्म पल पल दिल के पास के साथ ही संजय दत्त की फिल्म प्रस्थानम भी रिलीज हो रही है, इस मुकाबले को कैसे देख सकते हैं?
सिर्फ वही नहीं और भी कई फिल्में हैं जो उसी दिन रिलीज हो रही हैं। मैं इस बारे में कुछ कहना और करना चाहूं भी तो नहीं कर सकता हूं। जमाना ही अब ऐसा है, समय भी बदल गया है। मैं अगर किसी और तारीख को ये फिल्म रिलीज करना चाहूं तो कोई और फिल्म उस दिन आ जाएगी। इस बारे में कुछ नहीं कर सकते हैं। हमें अब इसी के साथ आगे बढ़ना होगा। विश्वास रखो और आगे बढ़ो, यही मेरे जीवन का फलसफा रहा है। बस उम्मीद रख सकते हैं।

मेरे कहने का आशय ये था कि मिशन मंगल और बाटला हाउस भी एक ही दिन रिलीज हुई और जॉन और अक्षय दोनों ने एक दूसरे की फिल्म को सपोर्ट किया। दोनों फिल्में सफल भी रहीं, आपके मन में ऐसा ख्याल नहीं आया?
ये दूसरी फिल्मों को सपोर्ट करना सब ड्रामा है। दूसरी बात सभी की अपनी अपनी धारणाएं होती हैं। इन सबके बारे में मैं ज्यादा न सोचता हूं और न ये सब तरीके आजमाता हूं। बस यही कह सकता हूं कि अच्छा होता अगर पल पल दिल के पास के साथ एक आधी फिल्म ही लग रही होती तो थोड़ा कलेजे को ठंडक पड़ जाती। पर अगर इतनी सारी फिल्में एक साथ आ रही हों, तो आप कुछ कर ही नहीं सकते।

आगे की क्या योजना है, सिर्फ निर्देशन या अभिनय भी?
मैं सब करूंगा आगे। निर्देशन भी होगा और अभिनय भी जारी रहेगा और अब तो मैं राजनीति में भी आ गया हूं तो इतनी सारी चीजें एक साथ करनी हैं। देखते हैं किसको ज्यादा वक्त दे पाता हूं।

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