ज्ञान भंडार
ब्रिटेन की सोफी को भाया बेलापानी, हैंडपंप लगवाया और अब लेंगी गांव गोद
रायपुर. ब्रिटेन वेल्स की रहने वाली सोफी हाटमैन ने हाफ मैराथन में जीती राशि से कवर्धा के ग्राम बेलापानी में खुदवाया बोरिंग। भारत से ऐसा लगाव कि 12 साल से आ रही हैं कवर्धा।
वह ग्राम बेलापानी के बैगा व आदिवासियों के लिए वे अनजान नहीं हैं। ब्रिटेन के वेल्स से हर साल यहां घूमने आती हैं और इसी बहाने कुछ परोपकार करके चली जाती हैं। वह भी चुपचाप। नाम है सोफी हाटमैन। 45 साल की सोफी ने पिछले साल वनांचल ग्राम बेलापानी में बोरिंग खुदवाकर पानी की समस्या दूर कर दी थी। अब वह ग्राम चौरा को गोद लेने की तैयारी में हैं। गांव को स्वच्छ भारत अभियान से जोड़कर स्वच्छता का संदेश देना चाहती हैं।
सोफी बहुत अच्छा हिन्दी बोलती हैं और लिख भी लेती हैं। हिन्दी में बात करते हुए ही उन्होंने बताया कि वह पिछले 12 साल से कवर्धा आ रही हैं। दो साल पहले वह जब बेलापानी घूमने पहुंचीं, तो ग्रामीणों ने बताया था कि गांव में पानी की बड़ी समस्या है। ग्रामीण बरसों से झिरिया का पानी पीते थे। इसके बाद सोफी ने वहां काम करने वाली एक संस्था को ग्रामीणों की मदद के लिए कुछ राशि दी। इतनी राशि, जिससे गांव में ही बोरिंग की खोदाई हो सके। सोफी की इस मदद से बोरिंग की खुदाई हुई और वह सफल भी रही। अब वह यहां के ग्रामीणों की प्यास भी बुझा रहा है। हाल ही में इस बोरिंग के आसपास प्लेटफार्म भी बनाया गया है।
हाफ मैराथन में मिले डेढ़ लाख के पुरस्कार से खुदवाया बोरिंग
सोफी बताती हैं कि उस साल उन्होंने वेल्स में आयोजित हाफ मैराथन में हिस्सा लिया और उसे जीता भी। 21 किलोमीटर के दौड़ की इस स्पर्धा में उन्हें लगभग डेढ़ लाख रुपए मिले। उन्होंने इस राशि को अच्छे काम में खर्च करने की ठानी और इसी राशि को बेलापानी में पानी की समस्या को दूर करने के लिए लगा दिया। अब बेलापानी के लोगों को दूर झिरिया तक पानी लाने नहीं जाना पड़ता। बल्कि गांव के बोरिंग से साफ पानी मिल जाता है।
जुड़ेंगी पीएम के स्वच्छता अभियान से, ग्राम चौरा को लेंगी गोद
पेशे से फिटनेस इंस्ट्रक्टर सोफी का ग्राम चौरा में भी एक छोटा सा खपरैल की छत वाला घर भी है। वह जब भी भारत आती हैं, यहीं रुकती हैं। अब वह चौरा में स्वच्छता का संदेश देना चाहती हैं। उन्होंने ग्राम चौरा को गोद लेने की भी पहल की है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से प्रेरित होकर वह चौरा में इस दिशा में काम करना चाहती हैं। वह कहती हैं कि इस क्षेत्र को नो पालीथिन एरिया बनाएंगी। वह आर्ट और क्राफ्ट पर भी काम करेंगी।
पेशे से फिटनेस इंस्ट्रक्टर सोफी का ग्राम चौरा में भी एक छोटा सा खपरैल की छत वाला घर भी है। वह जब भी भारत आती हैं, यहीं रुकती हैं। अब वह चौरा में स्वच्छता का संदेश देना चाहती हैं। उन्होंने ग्राम चौरा को गोद लेने की भी पहल की है। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से प्रेरित होकर वह चौरा में इस दिशा में काम करना चाहती हैं। वह कहती हैं कि इस क्षेत्र को नो पालीथिन एरिया बनाएंगी। वह आर्ट और क्राफ्ट पर भी काम करेंगी।