बड़ी खबर: जदयू ने की एनडीए के साथ लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा
अगले लोकसभा चुनाव से पूर्व महागठबंधन में जाने की कयासबाजी पर विराम लगाते हुए जद(यू) ने साफ कर दिया है कि वह 2019 का आम चुनाव एनडीए में रहकर ही लड़ेगी। पार्टी के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की 12 जुलाई को होने वाली बिहार यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात नीतीश कुमार से हो सकती है। दोनों नेता लोकसभा चुनाव के संदर्भ में चर्चा कर सकते हैं।
जद(यू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार में एनडीए के चार घटक दल हैं और सभी से विचार-विमर्श और सहमति के बाद सीटों के मुद्दे का समाधान कर लिया जाएगा।
त्यागी ने कहा कि अभी तक इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने एकमत से अपने अध्यक्ष नीतीश कुमार को चुनाव संबंधी सभी निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया है और जद(यू) एनडीए में रहकर लोकसभा चुनाव में उतरेगी।
जद(यू) की दिल्ली में आयोजित हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी के महागठबंधन में जाने संबंधी खबरें कुछ लोगों द्वारा उठाई जा रही हैं, लेकिन अब इन चर्चाओं का कोई मतलब नहीं है। जद(यू) एनडीए का हिस्सा है और इसी रुप में आगामी चुनाव लड़ेगी।
इसलिए टूटा था महागठबंधन
केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। बिहार में महागठबंधन के अहम घटक लालू परिवार पर जब भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगने लगे तब नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से संपर्क किया था। लेकिन दो दिनों के इंतजार के बाद भी राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बाद महागठबंधन से बाहर आने के अलावा और कोई चारा उनके पास नहीं बचा था।
जद(यू) के महागठबंधन में जाने की चर्चाओं पर उन्होंने हल्के अंदाज में कहा कि अगर कांग्रेस राजद जैसी भ्रष्ट पार्टी से अपना संबंध तोड़ दे तो इस बात पर विचार किया जा सकता है।
‘एक राष्ट्र – एक चुनाव’ पर सैद्धांतिक सहमति
केसी त्यागी ने बताया कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दो महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर प्रस्ताव पास हुए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ‘एक राष्ट्र – एक चुनाव’ के मुद्दे पर सैद्धांतिक रुप से सहमत है।
उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर देश को अनावश्यक खर्च, परेशानी, भ्रष्टाचार, चुनाव में कालेधन के इस्तेमाल जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। लेकिन यह मुद्दा बेहद व्यापक है और इसके लिए कानून में संशोधन करना पड़ेगा। इसके लिए सभी राज्यों की सहमति भी जरुरी है।
चुनाव आयोग को भी देखना पड़ेगा कि क्या उसके पास इतने संसाधन मौजूद हैं या नहीं। त्यागी ने कहा कि इन सब मुद्दों का समाधान होने के बाद ही देश इस बदलाव के लिए तैयार हो पाएगा। 2019 के आम चुनाव के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव की संभावना को उन्होंने खारिज कर दिया।
जद(यू) नेता ने कहा कि पार्टी ने यह प्रस्ताव पास कर दिया है कि वह असम की नागरिकता के मुद्दे पर सरकार का साथ नहीं देगी। उन्होंने कहा कि असम के छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आकर मिला था।
छात्रों ने प्रस्तावित कानून के प्रति अपनी चिंताएं जाहिर की थीं। इस कानून के पास होने से अल्पसंख्यकों के सामने नागरिकता संबंधी समस्याएं खड़ी हो जाएंगी, इसलिए जद(यू) ने इस कानून का समर्थन न करने का फैसला किया है।
सामाजिक सौहार्द जद(यू) के लिए प्राथमिकता
बिहार में रामनवमी के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों पर टिप्पणी करते हुए त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए सामाजिक सौहार्द सबसे पहली प्राथमिकता है और किसी भी सांप्रदायिक बात को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
भाजपा के एक शीर्ष नेता के दंगों के आरोपियों से मिलने पर उन्होंने कहा कि ऐसी बातें समाज में टकराव पैदा करती हैं। वे ऐसे किसी भी कदम का कोई समर्थन नहीं करते।
लड़ेंगे विधानसभा चुनाव
जद(यू) ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में वह उन क्षेत्रों में अपनी ताकत आजमाएगी जहां पूर्व में वह मजबूती से लड़ती रही है। केसी त्यागी के मुताबिक राजस्थान जैसे राज्यों में उनका अच्छा प्रभाव रह चुका है और वे उन सीटों पर अपनी किस्मत आजमाएंगे। उन्होंने कहा कि इसे किसी पार्टी के खिलाफ या किसी के समर्थन के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।