जनसँख्या की द्रिष्टि से भारत एक बहुत बड़ा देश हैं। यहाँ विभिन्न धर्म और सम्प्रदाय के 130 करोड़ लोग रहते हैं। भारत में आज भी जाति-धर्म के नाम पर झगड़े चल रहे हैं, लोग आपस में लड़ रहे हैं। इनमे से कुछ अमीर तो भारत को अपनी जागीर के रूप में देखते हैं, उनका समानता नाम से कुछ भी लेना देना नहीं होता। ऐसे में भारत का संविधान ही लोगों की मदद करने के लिए आगे आता है और समय-समय पर कानून की मदद से जांच-पड़ताल करता है कि कहीं कोई उपद्रवी तत्व इन लोगों के अधिकारों का हनन तो नहीं कर रहा।
आपको बता दें कि अगर अरब कन्ट्रीज की बात की जाए तो वहां लोगों पर ऐसे-ऐसे क़ानून लागू होते हैं कि लोग वहां की स्वतंत्रता को भी परतंत्रता का ही रूप मानते है।आज जहाँ दुनिया में अजब-गजब क़ानून बने हुए हैं वहीँ भारत इन सब से मुक्त है। यहाँ सिर्फ वही क़ानून चलते हैं जो लॉजिक के हिसाब से सही है। हिन्दुस्तान में जनता को भी उतनी ही स्वतंत्रता है जितनी यहाँ के महामहिम को है। इसलिए विश्व का सबसे बड़ा संविधान होने के बावजूद भी भारतीय संविधान लोगों के पक्ष में हैं। और आज हम बात करने वाले हैं भारतीय नागरिक के संवैधानिक अधिकार बारे जो उन्हें भारतीय संविधान से मिले हैं और जिनकी रक्षा खुद सुप्रीम कोर्ट करता है।
भारतीय नागरिक के संवैधानिक अधिकार
1. समानता का अधिकार
संविधान के आर्टिकल 14 से 18 तक समानता का अधिकार है। इस अधिकार के अंतर्गत हिन्दुस्तान में रहने वाले वाले सभी नागरिक एक है, चाहे वह किसी भी जाति अथवा धर्म का हो।
2. स्वतंत्रता का अधिकार
आर्टिकल 19- 22 के अंतर्गत स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन मिलता है। इसमें बोलने, विचार रखने, आवागमन, निवास (जम्मू-काश्मीर में नहीं) , कोई भी व्यापार करने की स्वतंत्रता शामिल है।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार
संविधान के आर्टिकल 23-24 में इस अधिकार के बारे में लिखा हुआ है। जिसका मतलब है कि कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी नागरिक का शोषण नहीं कर सकता। अगर किसी से कोई काम लिया है तो उसका पारिश्रमिक देना अनिवार्य है।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 के बीच धर्म से संवंधित अधिकार दिए गए है।इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म में जा सकता है।
5. संस्कृति और शिक्षा संवंधित अधिकार
इस आर्टिकल के द्वारा हमे कुछ भी पढ़ने और अपनी संस्कृति से संवंधित अधिकार मिलता है।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार
इस अधिकार के द्वारा ऊपर के 5 मौलिक अधिकारों को संरक्षित रखा जाता है।
ये है भारतीय नागरिक के संवैधानिक अधिकार
लोगों के मौलिक अधिकार किसी भी देश के नागरिकों के लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। उनकी दैनिक लाइफ इन्ही नियमों के द्वारा चलती है। लेकिन इन अधिकारों के बाद भी लोग तरह-तरह की रूढ़ियों में फंसे हुए हैं।इसलिए लोगों को अब जरूरत है कि इन रुढियों से बाहर निकल कर अपने संविधान को अपनाएँ और अपनी आज़ादी का जश्न मनाएं।