भारतीय लड़की ने की पाकिस्तानी बेस्ट फ्रेंड को वीजा दिलवाने की अपील
मुंबई। यह वाकई कल्पना करना बहुत कठिन है कि आपकी शादी हो और उस मौके पर आपका सबसे अच्छा दोस्त ही शामिल न हो। लेकिन कुछ दोस्तों के लिए शादी एक-दूसरे की उपस्थिति के बिना जैसे संभव ही नहीं। पत्रकार पूर्वी ठाकर और सारा मुनीर बेस्ट फ्रेंड्स हैं और एक दूसरे के गृह देश का दौरा कर चुके हैं और एक दूसरे के परिवार से मिल चुके हैं। दिसंबर में पूर्वी की शादी है और सारा का उस शादी में शामिल होना बहुत महत्वपूर्ण हैं।
और कोई देश होता तो कोई और बात थी लेकिन यहां यह दोनों दोस्त भारत और पाकिस्तान के हैं। यानी पूर्वी भारतीय है और सारा पाकिस्तान में रहती है। भारत-पाक के तनाव के बीच सारा भारत नहीं आ सकती अगर सरकारों ने मौजूदा स्थिति के उतार-चढ़ाव के बीच सहानुभूति का उदाहरण नहीं दिया।
इसलिए पूर्वी ने सरकार से मदद मांगी है विशेष रूप से सुषमा स्वराज से। सारा को भारत का वीजा दिलाने की अनुमति की मांग की है ताकि वह पूर्वी की शादी में शरीक हो सकें।
#GetSarahToIndia हैश टेग के साथ पूर्वी ने फेसबुक पर एक शानदार पोस्ट लिखा जिसमें इस लड़कियों के खास रिश्ते के बारे में लिखा है और मदद की मांग की है।
पूर्वी ने लिखा ‘ जो सभी मेरी और सारा मुनीर की दोस्ती को जानते हैं, वे समझ सकते हैं कि यह कितना दिल तोड़ने वाला होगा कि दिसंबर में भारत के लिए उसका वीजा आवेदन ठुकरा दिया गया। मेरे सबसे बड़े दिन पर मेरी बेस्ट फ्रेंड का न होना, मेरे लिए बहुत बुरा होगा। कागजी कार्रवाई, महीनों तक समन्वय और प्रार्थनाएं, लेकिन हम नहीं जानते थे कि यह सब अस्वीकृति पर खत्म होगा।
सारा भारत का और मैं पाकिस्तान का दौरा कर चुकी हूं जहां हम एक दूसरे के परिवार के साथ ठहरे थे। उसकी अम्मी और अब्बू मेरे अपने परिवार जैसे हैं और उसके भाई-बहन मेरे भाई-बहन हैं। हम साथ में मस्जिद, चर्च और मंदिर भी गए थे। हमें तब तक याद ही नहीं था जब तक हमारे देशों/सरकारों ने हमें याद दिलाया कि हम ‘पाकिस्तानी’ या ‘भारतीय’ हैं।
हम जानते हैं कि हमारे देश ऐसे इतिहास का साझा करते हैं जहां आर्थिक और राजनीति प्रभाव पड़ता है लेकिन यह मानवीय रिश्तों और जुड़ाव जैसे सामान्य सांसारिक बातों की भी राहदारी करता है। कोई भी उसके बारे में नहीं सोचता। दोस्त होना और एक दूसरे के लिए खड़ा होना इतना कठिन नहीं होना चाहिए क्योंकि हम सीमाओं के पार पैदा हुए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सोशल प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर और फेसबुक ऐसी धारणाओं में बदलाव लाएंगे।’