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भारत को एपेक में शामिल करने का सही समय : रुड

केविन रुडनई दिल्ली। (एजेंसी)। आस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रुड ने कहा कि भारत को अब एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग संगठन (एपेक) का सदस्य बना लिया जाना चाहिए। रुड का कहना है कि अपनी 2० खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था, विशाल श्रम शक्ति, सरकार की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे कारणों से भारत इसका हकदार है। उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत के 21 देश भारत को सदस्य नहीं बनाकर काफी कुछ खो रहे हैं।
रुड एक उच्चस्तरीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यबल के प्रमुख हैं, जो भारत को एपेक में शामिल करने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है। मेरे हिसाब से भारत को शामिल नहीं कर एपेक काफी कुछ खो रहा है। और, यह भारत की कोई गलती न होने के बावजूद हो रहा है।’’एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के प्रमुख रुड ने भारत को एपेक में शामिल नहीं करने के लिए खुद और अपने सभी पूर्ववर्तियों की तरफ से माफी मांगी और कहा कि 2०15 को इस तस्वीर को बदलने वाला साल होना चाहिए। एपेक सम्मेलन नवंबर में फिलीपींस की राजधानी मनीला में होना है। भारत ने एपेक की सदस्यता के लिए 1991 में अर्जी दी थी। लेकिन 1997 से एपेक में नए सदस्य को शामिल करने पर रोक लगी हुई है। रुड ने कहा कि कार्यबल की इच्छा है कि मनीला सम्मेलन में भारत की सदस्यता का मामला रखा जाए ताकि 2०15-16 तक भारत की सदस्यता सुनिश्चित हो सके।
कार्यबल के सदस्यों ने भारत में सरकारी अधिकारियों और औद्योगिक घरानों के प्रमुखों समेत समाज के कई तबकों से बात की। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) भवन में रुड और अन्य हस्तियों ने ‘‘इंडिया एंड एपेक : चार्टिंग अ पाथ टू मेम्बरशिप’’ नामक कार्यक्रम में अपनी बात रखी। कार्यक्रम में पूर्व विदेश सचिव श्याम शरण ने कहा कि भारतीय कंपनियों ने एपेक देशों में 49 अरब डालर का निवेश किया हुआ है। इससे समझा जा सकता है कि एपेक में भारत की हिस्सेदारी कितनी बड़ी है। शरण ने कहा, ‘‘एपेक की सदस्यता इस बात को मान्यता देगी कि भारत पहले से ही एक महत्वपूर्ण एपेक अर्थव्यवस्था है। यह ताज्जुब की बात है कि भारत इस फोरम का हिस्सा नहीं है।’’ दक्षिण कोरिया के पूर्व विदेशमंत्री ने कहा कि भारत अगर एपेक का सदस्य बनता है तो इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। भारत यह अवसर दूसरे देशों में पैदा कर सकता है।

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