नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पति ने अपनी पत्नी को वेश्या संबोधित किया और इस कारण गुस्से में पत्नी ने उसकी हत्या कर दी। कोर्ट ने इसे हत्या का नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या का केस माना। पति की हत्या के मामले में पत्नी और उसके पड़ोसी को गैर इरादतन हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए 10-10 साल कैद की सजा सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति ने पत्नी को वेश्या कहा था इस कारण एकाएक गुस्से में आकर पति पर महिला ने पड़ोसी के साथ मिलकर अटैक किया और गला घोंटकर मार दिया।
हमारे समाज में महिला बर्दाश्त नहीं कर सकती कि पति वेश्या कहे : अदालत ने कहा कि हमारे समाज में कोई महिला इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकती कि उसका पति उसे वेश्या कहे और इस तरह इस मामले में हुई वारदात एकाएक गुस्से में आकर की गई वारदात है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इस कारण गैर इरादतन हत्या करार दिया। निचली अदालत और हाई कोर्ट ने मामले में महिला और उसके पड़ोसी को हत्या मामले में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम शांतनागौड़ा और जस्टिस दिनेश महेश्वरी ने मामले को हत्या नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या करार दिया।
पति को पत्नी और बेटी की निष्ठा पर शक था : सुप्रीम कोर्ट के सामने आए तथ्य के मुताबिक आरोप था कि आरोपी महिला का अपने पड़ोसी से अवैध संबंध थे। महिला के पति को अपनी पत्नी की निष्ठा पर शक था साथ ही उसे अपनी बेटी पर भी शक था। घटना वाले दिन महिला का पति से झगड़ा हुआ था। महिला को उसके पति ने गुस्से में वेश्या कहा और कहा कि उसने अपनी बेटी को भी वेश्या बना दिया है। पहले फ्लोर पर रह रहा पड़ोसी भी लड़ाई सुनकर वहां आ गया और उसने इस दौरान महिला के पति को थप्पर मारे। इसके बाद महिला और उसके पड़ोसी ने उसका गला घोंट दिया। फिर दोनों ने डेडबॉडी जला दी। ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट ने महिला और उसके पड़ोसी को हत्या मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई।
हत्या नहीं गैर इरादतन हत्या का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गैर इरादतन हत्या करार दिया और कहा कि यह मामला अपवाद में आएगा। वारदात एकाएक गुस्से में आकर की गई। मृतक ने अपनी पत्नी और बेटी को वेश्या कहा था और इसी कारण महिला को गुस्सा आया और गुस्से में महिला और उसके पड़ोसी ने आदमी का गला घोंट दिया। यह सब चंद मिनट में हो गया। महिला और उसकी बेटी को मृतक ने वेश्या कहा था और इस कारण अपने आप पर दोषियों का काबू नहीं रहा।
सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की बेंच ने कहा, हमारे समाज में कोई भी महिला इस बात को हजम नहीं कर सकती कि उसका पति उसे वेश्या कहे। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत और हाई कोर्ट के फैसले में बदलाव किया और हत्या (आईपीसी की धारा-302) के बदले गैर इरादतन हत्या (धारा-304) मामले में दोषी करार दिया और 10 साल कैद की सजा सुनाई।