स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर पीडीपी ने नेशनल कांफ्रेंस की राह पकड़ ली है। सोमवार को पार्टी विधायकों के साथ बैठक के बाद पीडीपी ने भी निकाय और पंचायत चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया है। नेशनल कांफ्रेंस पहले ही इस चुनाव के बहिष्कार का एलान कर चुकी है।नेशनल कांफ्रेंस के बहिष्कार के एलान से उसे राजनीतिक उछाल मिली थी। इसे देखते हुए पीडीपी के लिए यह समय कठिन था। अगर वह इन चुनाव में भाग लेती तो उसे राज्य की जनता का रोष झेलना पड़ता। पीडीपी इन चुनाव को लेकर बुधवार से ही लगातार मंथन कर रही थी। गुरुवार को श्रीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों के साथ बैठक के बाद महबूबा ने इस मुद्दें पर अपना रुख कड़ा करने का फैसला किया। रविवार को गांदरबल के कंगन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महबूबा ने कहा था कि फिलहाल राज्य के हालात चुनाव के अनुकूल नहीं हैं। अंततः सोमवार को पार्टी विधायकों की बैठक के बाद महबूबा मुफ्ती ने निकाय और पंचायत चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया।सभी को सुरक्षा दे पाना संभव नहीं होगामहबूबा मुफ्ती ने कहा कि निकाय व पंचायत चुनाव पर बात चल रही है। उनकी सरकार ने भी सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। तब सर्वसम्मति बनी थी कि हालात चुनाव के लायक नहीं हैं। सभी को सुरक्षा दे पाना संभव नहीं होगा। उम्मीद है कि गवर्नर भी सर्वदलीय बैठक बुलाकर हालात पर चर्चा करेंगे और तब फैसला करेंगे। लेकिन समस्या यह है कि 35-ए को मिला दिया गया। कोर्ट में कहा गया कि 35-ए पर सुनवाई टाल दी जाए क्योंकि पंचायत चुनाव होने हैं। इससे समस्या और पैदा हो गई और लोगों में शक पैदा हुआ। महबूबा ने दक्षिणी कश्मीर जो पीडीपी का गढ़ है वहां हालात खराब होने के सवाल पर कहा कि यह केवल दक्षिणी कश्मीर की बात नहीं है। पूरी रियासत में जब तक पालीटिकल प्रोसेस शुरू नहीं होगा, बातचीत का सिलसिला शुरू नहीं होगा तब तक स्थिति नहीं बदलेगी। सीजफायर किया गया था और उसके बाद गृह मंत्री ने बातचीत का न्योता दिया था। लेकिन यह किन्हीं वजहों से रूक गया। इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। इमरान खान के दोस्ती का जवाब हाथ बढ़ाकर देना चाहिए तभी जम्मू कश्मीर में अमन तथा शांति होगा।
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