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महबूबा ही रहेंगी सत्ता का केंद्र, भाई तसद्दुक संभालेंगे पिता की विरासत

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/  mehbooba-mufti_650x400_81452857954 (2)श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन में देरी का काफी कुछ पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की इन कोशिशों से लेना देना जान पड़ता है कि वह अपनी पार्टी का सत्ताकेंद्र मुफ्ती परिवार में बनाए रखना चाहती हैं।

वैसे पीडीपी आधिकारिक रूप से कहती है कि वह बीजेपी के साथ 10 महीने की गठबंधन सरकार के दौरान गठबंधन के एजेंडे के क्रियान्वयन की समीक्षा कर रही है, लेकिन महबूबा ने अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के बाद की स्थिति में पिछले एक हफ्ते से अपनी पूरी ऊर्जा अपने छोटे भाई को राज्य की राजनीति में उतारने में लगाई हुई है।

पीडीपी अध्यक्ष चाहती हैं कि उनके भाई चर्चित ‘ओंकार’ फिल्म के सिनेमाटोग्राफर तसद्दुक हुसैन अपने कंधों पर पार्टी प्रबंधन की कुछ जिम्मेदारियां लें। दिवंगत मुख्यमंत्री के 44 वर्षीय बेटे पिछले शनिवार को पीडीपी के कोर ग्रुप की बैठक उपस्थित हुए थे, जहां महबूबा को राज्य में सरकार गठन के सिलसिले में अंतिम निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया था।

एक वरिष्ठ पीडीपी नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘जब मुफ्ती साहब जिंदा थे तब तसद्दुक राजनीति के बारे में चर्चा करने में भी अनिच्छुक थे, लेकिन इन दिनों उन्होंने सक्रिय राजनीति से जुड़ने में थोड़ा रुझान तो दिखाया है।’

जम्मू-कश्मीर के कड़े दल-बदल विरोधी कानून के तहत पार्टी अध्यक्ष को प्राप्त शक्तियों को ध्यान में रखते हुए महबूबा अपने किसी ऐसी करीबी को पार्टी की कमान सौंपना चाहती हैं और तसद्दुक आदर्श पसंद के रूप में उभरे हैं। साल 2007 में पारित राज्य का दल-बदल विरोधी कानून दल बदलने की इजाजत नहीं देता। चाहे वह एक तिहाई या उससे अधिक विधायक ही क्यों न हों, जैसा कि राष्ट्रीय कानून में है।

पूर्व महाधिवक्ता मोहम्मद इशाक कादरी महसूस करते हैं कि राज्य का दल-बदल विरोधी कानून पार्टी अध्यक्ष को काफी शक्तिशाली बनाता है। उन्होंने कहा, ‘जब सदन का सत्र चल रहा हो तो विधायक अपनी पार्टी के व्हिप का पालन करने के लिए बाध्य हैं अन्यथा उन्हें सदन की अयोग्यता का सामना करना पड़ेगा।’ वैसे तसद्दुक के राजनीति अखाड़े में उतरने पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन परिस्थितियां उन्हें सक्रिय राजनीति (कम से कम अपनी पार्टी के अंदर) के लिए बाध्य कर सकती हैं।

पीडीपी नेता ने कहा, ‘पीडीपी अध्यक्ष ने केवल अपने पिता और मागर्दशक को बल्कि अपने शक्ति स्तंभ को भी खोया है। राजनीतिक मोर्चे पर उनके मार्गदर्शन के लिए कई समर्थ नेता हैं, लेकिन वह उन मामलों पर कुछ सलाह और परामर्श ले सकती हैं जो पूरी तरह राजनीतिक न हो।’ वैसे तसद्दुक ने सईद के निधन के 15वें दिन महबूबा के निवास पर पीडीपी नेताओं की अनौपचारिक बैठक में अपना संबोधन देकर सक्रिय राजनीति में शामिल होने की अटकलों को हवा दी थी।

बैठक में मौजूद रहे एक पीडीपी विधायक ने कहा, ‘उन्होंने राजनीति की बात नहीं की। उनका भाषण पर्यावरण और उसके संरक्षण पर केंद्रित था।’ इन विधायक ने कहा कि यदि राज्य में कोई सरकार होगी तो वह पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार होगी, क्योंकि कोई समयपूर्व चुनाव नहीं चाहता। कुछ मुद्दे हैं, जिनका आगामी दिनों में हल हो जाएगा।

 

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