नई दिल्ली : महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार में भारी बारिश हो रही है। महाराष्ट्र में नागपुर के साथ ही कोंकड़ में जनजीवन बेहाल है। नागपुर में शुक्रवार की भारी बारिश के बाद लोग सहमे हुए हैं। शनिवार को स्कूल-कॉलेज बंद है। घरों और सड़कों से पानी उतरने लगा है, लेकिन आज भी भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। शुक्रवार को यहां नौ घंटों में 265 एमएम बारिश हुई थी। वहीं गुजरात के तापी में दो घंटे में 8 घंटे बारिश हुई। दक्षिण गुजरात के वलसाड़ समेत अधिकांश इलाकों में पानी भर गया है। यहां से गुजरने वाली ट्रेनों का रुट बदला गया है। बिहार के मुजफ्फरपुर में भारी बारिश का दौर जारी है। महाराष्ट्र के रायगढ़ में भी ट्रेन यातायात प्रभावित हुआ है।
भारी बारिश की वजह से महाड के पास केमबुर्ली में भू-स्खलन से मुंबई गोवा-हाईवे अवरुद्ध हो गया है। वाहन जाम में फंस गए हैं। बिहार में कोसी और सीमांचल में कई नदियां खतरे के निशान से उपर बहने लगीं हैं। नदी किनारे बसे गांवों के लोग रतजगा करने पर विवश हैं। कोसी तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों को फिर विस्थापन की चिंता सताने लगी है। शुक्रवार को अररिया में डूबने से एक बच्ची की मौत हो गई। किशनगंज और मधेपुरा में भी अब तक तीन-तीन लोग डूब चुके हैं। सुपौल में कोसी तटबंध के अंदर कई गांवों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। मरौना प्रखंड क्षेत्र के आधा दर्जन गांव में बाढ़ का पानी जमा है। इसके अलावा दो दर्जन नये गांवों में बाढ़ का पानी घुसा है। सहरसा में पूर्वी कोसी तटबंध पर महिषी के कुंदह, नवहट्टा के 64.95 किलोमीटर स्पर पर हो रहे कटाव पर नियंत्रण पा लिया गया है।
मधेपुरा के दो दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। कोसी के जलस्तर में वृद्धि से फुलौत के निचले इलाकों में पानी फैल चुका है। अररिया जिले की बकरा व नूना समेत अन्य नदियों के जलस्तर में गिरावट आई है। कई जगहों पर पानी घटने के साथ ही कटाव तेज हो गया है। जोकीहाट प्रखंड क्षेत्र की चैनपुर-मसुरिया पंचायत में परमान नदी पर बने चंद्रशेखर बांध के टूटने से दर्जनों गांवों में पानी फैल गया है। यहां एक बच्ची की डूबकर मौत हुई है। कटिहार में महानंदा का पानी खतरे के निशान से उपर बह रहा है, वहीं गंगा-कोसी फिलहाल शांत हैं। अमदाबाद प्रखंड के आठ गांवों में पानी घुसने से लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन की तैयारी कर रहे हैं। पूर्णिया के अमौर प्रखंड में कनकई नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। कई गांवों में पानी घुस गया है। गुरुवार को एसएच 99 के शीशाबाड़ी स्थित ध्वस्त पुल के समीप डायवर्सन पर करीब एक फीट पानी बहने के कारण यातायात पूरी रात बंद रहा । इससे पूर्णिया-किशनगंज का सड़क संपर्क बाधित रहा।उधर, उत्तर बिहार में शुक्रवार सुबह बारिश के बावजूद दिनभर तेज धूप रही। पानी घटने से चंपारण में लोगों ने राहत की सांस ली है। मिथिलांचल में परेशानी बरकरार है। पश्चिमी चंपारण में गंडक शांत हो गई है, लेकिन कटाव जारी है। मधुबनी जिले में तीसरे दिन भी कमला बलान खतरे के निशान से ऊपर रही। धौस व अन्य नदियों में जलस्तर में भी वृद्धि जारी रही। बेनीपट्टी में महराजी बांध जगह-जगह दरकने से दहशत है। कोसी नदी भी उछाल पर है। लदनियां में एनएच -104 पर पानी बह रहा है। यहां के लोगों का चौथे दिन भी संपर्क भंग रहा। शिवहर में बागमती खतरे के निशान के पार रही। पांचवें दिन भी मोतिहारी से संपर्क बाधित रहा। सीतामढ़ी में बागमती के जलस्तर में कमी आई है। दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड क्षेत्र में कहर जारी है।
उत्तराखंड में एक बार फिर से मौसम करवट बदलने जा रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटे में कई इलाकों में राहत की बौछारें पड़ेंगी। इससे लोगों को उमस भरी गर्मी से कुछ राहत मिलेगी। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार देहरादून शहर के कुछ क्षेत्रों में गर्जन के साथ बारिश की उम्मीद है। अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: 34 और 24 डिग्री सेल्सियस रहने के आसार हैं। साथ ही अगले 24 घंटे में कुमाऊं क्षेत्र के कुछ स्थानों और गढ़वाल में कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है। पिछले तीन दिनों से निचले पहाड़ी क्षेत्रों में भी बारिश नहीं हुई है। देहरादून शहर की बात करें सुबह से चटख धूप खिल रही है। जिससे लोग गर्मी से हलकान हो रहे हैं। विशेषकर दोपहर में स्कूलों से छुट्टी के बाद बच्चों को कड़ी धूप में घर जाना पड़ रहा है। पिछले 48 घंटे में दून के अधिकतम तापमान में करीब चार डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। शुक्रवार को दून का अधिकतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री अधिक 34.8 और न्यूनतम तापमान 23.1 डिग्री सेल्सियस रहा। मसूरी में भी बारिश न होने से तापमान में बढ़ोतरी हुई। शुक्रवार को मसूरी का अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश: 26.6 और 16.8 डिग्री सेल्सियस रहा। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि राज्य में मानसून सक्रिय होने के कुछ समय बाद उसके रूट में परिवर्तन देखा गया है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते मानसून फुट हिमालयी क्षेत्र की ओर रुख कर गया। उत्तर भारत में मानसून के कमजोर पड़ने से तीन दिन बारिश नहीं हुई है। अब गुरुवार तक उत्तराखंड में फिर मानसून की बारिश होगी।