राष्ट्रीय

महिलाओं की सुरक्षा पर बोले व्योमकेश 

दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में शोध पत्र का किया वाचन

सीधी : माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के एम. फिल के शोधार्थी व्योमकेश पाण्डेय और श्वेता रानी ने कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय रायपुर  के माधव राव सप्रे शोधपीठ द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में “महिला और मीडिया” में अपनी प्रस्तुति दी. व्योमकेश द्वारा महिलाओं के सन्दर्भ में साक्षात्कार के माध्यम से शोध तैयार किया गया था जिसका विषय रहा “महिलाओं के सन्दर्भ ने नवीन मीडिया और सामाजिक परिवर्तन” और स्वेता रानी ने  “मॉस मीडिया तक पहुँच में ग्रामीण महिलाओं की समस्या” इसी विषय पर दोनों शोधार्थियों ने संगोष्ठी में शोष पत्र को प्रस्तुत कर उसका वाचन किया.

शोध पत्र के द्वारा व्योमकेश पाण्डेय ने बताया कि वर्त्तमान समय में नवीन मीडिया का जिस प्रकार का इस्तेमान हो रहा है उससे महिला सुरक्षा पर सवाल खड़ा कर दिया है, महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार को लेकर लम्बे समय से वैश्विक स्तर पर चिंता व्यक्त की जा रही है और समय-समय पर कदम भी उठाये जा रहे हैं. नवीन मीडिया से तेजी से सूचनाएं वैश्विक रूप से लोगों तक पहुंच रही है और वे इन सूचनाओं से कम से कम अपने अधिकारों के प्रति जागरूक भी हो रही है। बदलाव की शुरूआत हो चुकी है और निश्चित रूप से समय के साथ महिलाओं की सामाजिक स्थिति में बदलाव के उपकरण के तौर पर नई मीडिया का और भी इस्तेमाल होगा। लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है कि इस मीडिया का इस्तेमाल संयम और जिम्मेदारी के अलावा तर्कसंगत रूप से किया जाय तो नतीजे बेहतर होंगे और उद्देश्यों को पूरा करना आसान होगा। आज नई मीडिया के रूप  में महिलाओं को एक ऐसा मंच उपलब्ध हुआ है जहां वे पहल करके अपनी सामाजिक परिस्थितियों में बदलाव ला सकती हैं। 

वहीँ स्वेता रानी ने बिहार में किये अपने शोध करते हुए कई ऐसे सवाल का सामना करना पड़ा जिसमें मीडिया और समाज में बहुत अंतर देखने को मिला. कई सवाल जबाव में बताया की महिलाओं के पास ज्यादा समय नहीं होता की वह समाचार पत्रों को समय दे और आज भी कुछ जगह इस तरह कि स्थिति है की वहां की महिलाओं को समाचार पत्रों पर ज्यादा भरोसा नहीं करती, उनका कहना था की जो सूचनाएं दी जा रहीं है उनमें कितनी सत्यता है इसको वह किस आधार पर मानें. उत्तरदादाताओं ने बताया की पत्रों में महिलाओं से संबंधित जो भी खबर रहती है वो हत्या, बलात्कार की खबर रहती है जो पढने लायक नहीं रहती. 

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