राष्ट्रीय

महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में भारत की वैश्विक रैंकिंग सुधरी

2015_11image_11_08_373465538women-llदस्तक टाइम्स/एजेंसी-
महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में भारत की वैश्विक रैंकिंग सुधरी है। पिछले वर्ष के 114वें स्थान के मुकाबले इस साल वह 108वें स्थान पर पहुंच गया है। अगर आर्थिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी आशातीत प्रदर्शन हुआ होता तो देश की रैंकिंग में और सुधार देखने को मिलता।वैसे लिंग भेद खत्म करने यानी महिला-पुरुष गैर-बराबरी समाप्त करने के मामले में आइसलैंड पूरी दुनिया में अव्वल है। नारी सशक्तीकरण को लेकर वह संपूर्ण विश्व में पहले स्थान पर है। इसके बाद नार्वे और फिनलैंड का नंबर है।महिलाओं के सर्वांगीण विकास को यह लेकर 145 देशों का यह सूचकांक वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम ने जारी किया है। इसमें राजनीतिक प्रतिनिधित्व के साथ-साथ महिलाओं से जुड़े आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य संबंधी अन्य सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया है।महिलाओं को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने के लिहाज से भारत का रिकार्ड बेहद शानदार है। इस मामले में देश का पूरी दुनिया में 9वां स्थान है। यही कारण है कि पिछले वर्ष के मुकाबले उसकी रैंकिंग में इस साल सुधार देखने को मिला है।मोदी सरकार में सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी, मेनका गांधी, नजमा हेपतुल्ला, उमा भारती, हरसिमरत कौर बादल और निर्मला सीतारमण के रूप में महिलाओं की उपस्थिति दर्ज है। इसी प्रकार तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की कमान महिला मुख्यमंत्रियों के हाथ है।लिंग भेद को लेकर जारी विश्व सूचकांक रिपोर्ट में स्वास्थ्य के मोर्चे पर देश की दयनीय स्थिति को दर्शाया गया है। हैल्थ एंड सरवाइवल क्षेत्र में भारत का दुनिया में 143वां दिखाया गया है। इसी प्रकार आर्थिक भागीदारी एवं अवसर की समानता मामले में वह 139वें स्थान पर है। शैक्षिक मामले में देश का स्थान 125वां है।वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में स्त्री-पुरुष के बीच आर्थिक गैर-बराबरी दूर करने में अभी भी 118 और लग जाएगा। यानी विकास की मौजूदा रफ्तार कायम रही तो 2133 तक महिला और पुरुष के बीच आर्थिक समानता का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

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