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मां शीतला के पूजन से दूर होती है चेचक की बीमारी

ज्योतिष : चैत्र का महीना शुरू हो चुका है। चैत्र मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी मनायी जाती है। इस दिन माता शीतला की विशेष पूजा अर्चना की जाती है । कुछ जगहों पर माता शीतला की पूजा शीतला सप्तमी को और कुछ लोग शीतला अष्टमी को करते हैं। मान्यता है कि माता शीतला की पूजा करने से चेचक जैसे भयंकर रोग भी ठीक हो जाते हैं। सनातन धर्म में कुछ त्योहार ऋतु परिवर्तन के संकेत लेकर आते हैं। ऋतु परिवर्तन का एक ऐसा ही त्योहार है शीतला अष्टमी। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी के नाम से जाना जाता है। जब चैत्र मास में गर्मी बढ़ जाती है तो शरीर में कई प्रकार के पित्त और विकार उत्पन्न होने लगते हैं। शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला की पूजा करने से व्यक्ति के पित्त, जवर, फोड़े, फूंसी,नेत्र रोग और चेचक जैसी बीमारी सब कुछ ठीक हो जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार शीतला माता का वाहन गधा बताया गया है। शीतला माता अपने हाथों में कलश, सूप, झाडू तथा नीम के पत्ते धारण करती हैं। माना जाता है कि चेचक का रोगी बैचेनी के कारण अपने वस्त्र उतार देता है। ऐसे में माता का यह सूप रोगी को हवा देता है और झाडू से चेचक के फोड़े फट जाते हैं।

नीम के पत्ते फोड़ों को सड़ने नहीं देते क्योंकि रोगी को ठंडा जल प्रिय लगता है। इसी कारण से मां शीतला के हाथों में कलश का महत्व माना जाता है। वैसे भी शास्त्रों के अनुसार एक कलश में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है। शीतला माता के हाथ में झाडू है जो लोगो को साफ सफाई के प्रति जाग्रत करता है। जब भी घर में किसी बच्चे को चेचक निकलता है तो घर में कभी भी तीखा भोजन आदि के लिए मनाही है। उस समय घर में किसी भी प्रकार की पूजा पाठ भी नहीं की जाती और जब रोगी चेचक का रोगी ठीक हो जाता है तो मां शीतला की पूजा की जाती है और रोगी के शरीर पर वही हल्दी और तेल लगाया जाता है। जिससे माता शीतला की पूजा गई हो।

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