मानसून में देरी हुई तो बन सकते हैं लातूर जैसे हालात
सावन व भादवा महीने में जिले में बारिश नहीं हुई तो महाराष्ट्र के लातूर जैसे हालात बन सकते हैं। जिले व शहर के अधिकांश स्थानीय जलस्रोत उपेक्षा की भेंट चढ़ गए हैं। जलदाय विभाग व जिला प्रशासन भी अच्छी बारिश की आस लिए हाथ पर हाथ धरे बैठा है। संकट की स्थिति से उबारने के लिए अब तक कोई ठोस योजना भी तैयार नहीं की गई है। पूर्व की भांति टे्रन भी अब जिले या शहर की प्यास नहीं बुझा पाएगी। पाली शहर को रोज सवा तीन लाख लीटर पानी की जरूरत है जबकि एक ट्रेन में 15 लाख लीटर पानी ही आ पाता है।जवाई बांध के तल तक पानी पहुंचने के साथ ही जिले के माथे पर चिंताओं की लकीरें खिंचना शुरू हो गई हैं। जिम्मेदारों ने अन्य पेयजल स्रेातों को ढूंढना भी शुरू नहीं किया है। एेसे में इस वर्ष बारिश का अभाव या कमी रहती है तो फिर जिले के पेयजल प्रबंधन पर भारी असर पड़ेगा। जवाई बांध में गुरुवार सुबह 8 बजे 7 फीट गेज के साथ 696 एमसीएफटी पानी की उपलब्धता थी। लगातार वाष्पीकरण से पानी उड़ भी रहा है।
विभाग के अनुसार पूर्व में वर्ष 2002-03 में पाली ट्रेन से पानी पिलाया गया था। केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत जोधपुर से उस समय प्रतिदिन चार टे्रन व जवाई बांध से दो ट्रेन आती थीं। जवाई बांध की ट्रेन सोजत में पानी खाली करती थीं। जोधपुर से प्रतिदिन 75 लाख लीटर व जवाई बांध से करीब 7.5 लाख लीटर पानी आता था। करीब छह माह तक ट्रेनों का संचालन हुआ। वर्तमान में पाली शहर में ही प्रतिदिन सवा तीन सौ लाख लीटर पानी की खपत है।
पूर्व में ट्रेन से पानी आने के दौरान रेलवे स्टेशन के नजदीक बनाई गई पानी की होदियां व डिग्गियां जर्जर हो चुकी है। इन हौदियां में ट्रेन का पानी डालकर जोधपुर रोड स्थित जलदाय विभाग की डिग्गियों तक पहुंचाया जाता था। जो अब उपेक्षा की शिकार है।
जलदाय विभाग का दावा
जवाई बांध के डेड स्टोरेज के पानी के लिए जलदाय विभाग का दावा है कि दस अगस्त तक ये पानी जिले के लिए पर्याप्त रहेगा। इस दौरान बारिश आ जाएगी। वहीं जवाई बांध के आंकड़े भी ये बोल रहे हैं कि आज तक 31 जुलाई के बाद डेड स्टोरेज का पानी खींचने की नौबत नहीं आई है। एेसे में विभाग पूरी तरह से समय पर बारिश आने व समस्या का समाधान होने की आस लगाए बैठा है।
स्थानीय स्रोतों की लंबे समय से उपेक्षा
पाली शहर सहित कई गांव व कस्बे जवाई बांध के पानी पर ही निर्भर है। इसके बावजूद स्थानीय जलस्रोतों की उपेक्षा की जा रही है। जिन जलस्रोतों पर पानी भरने के लिए कभी भीड़ उमड़ती थी। उनका पानी अब बदबू मारने लगा है। लाखोटिया तालाब का पानी तो जल माफिया की ओर से बेचा तक जा रहा है।
जवाई बांध का गुरुवार को गेज
6.90 फीट
692.80 एमसीएफटी
इन्होंने कहा
वैसे तो बारिश सही समय पर आ जाएगी। पेयजल के स्थानीय व अन्य स्रोतों को सुधारने के लिए भी काम किया जाएगा। टे्रन की जरूरत तो नहीं पड़ेगी फिर भी प्रस्ताव तो बनाया जाएगा।