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गुजरात दंगों पर अटलजी ने संसद में कही थी ऐसी बात

modi-with-atal_03_11_2016पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भले किसी जनसभा में बोलते या संसद के सत्र में, दोनों जगह वे अपनी चुटीली और जबदस्त भाषण शैली से हर किसी का मन मोह लेते थे। लेकिन जब वे नाराज होते तो सधे हुए शब्दों

में नसीहत भी देते थे।

एक बार ऐसा ही हुआ जब मीडिया में आ रही खबरों के आधार पर विपक्ष ने अटलजी पर सवाल उछाले तो उन्होंने दिलचस्प अंदाज में विपक्ष के साथ-साथ मीडिया को भी नसीहत दे दी। वे अपनी बात भी कह गए और किसी को नाराज भी नहीं किया।

ये बात उस समय की है जब गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों को जलाने और प्रतिक्रिया स्वरूप गुजरात में दंगे भड़कने की घटनाएं हुई थीं। उसके बाद संसद सत्र में विपक्ष ने अटलजी को घेरने की कोशिश की और कहा कि- वे अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि वे गुजरात दंगों के समर्थन में हैं या विरोध में?

कुछ विपक्षी और वामपंथी सदस्यों ने मीडिया में आ रही रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए अटलजी पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि आपने गुजरात दंगों पर गोवा में कुछ कहा और गुजरात में कुछ और कहा। इस तरह आप झूठ बोलते रहे।

लंबे समय तक अटलजी धैर्य साधे सबको सुनते रहे और फिर अपनी चिर-परिचित शैली में उठे और बोले- ‘ये अच्छी बात नहीं है कि आप बिना गृहकार्य (होमवर्क) किए यहां मेरी परीक्षा लेने आ गए हैं। आपको एक अच्छे

विद्यार्थी की तरह गृहकार्य करना चाहिए। जहां तक मीडिया की बात है तो वह मुझे कभी-कभी ऐसा बिगड़ैल विद्यार्थी लगता है, जो होमवर्क करना ही नहीं चाहता। वह जमीनी हकीकत को समझने के लिए मैदान में जाने या किसी घटना के हर पक्ष को तटस्थ नजरिए से देखने के बजाय बस अपने मन की बात को चिकनेचुपड़े ढंग से कह देता है।

बकौल अटलजी, मीडिया वो विद्यार्थी हो गया है, जो न अपने पिता की सुनता है, न शिक्षक की। कभी-कभी तो वह अपनी आत्मा की बात भी नहीं सुनता। और उस बिगड़ैल विद्यार्थी की रिपोर्ट्स के आधार पर मेरे विपक्षी साथी उसके पिछलग्गू दोस्त बनकर उन रिपोर्ट्स को तथ्यात्मक मान लेते हैं। मुझे लगता है कि ये स्थिति ठीक नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, गुजरात के इस सारे कांड में मीडिया की जो भूमिका रही है, वो भी किसी कांड से कम नहीं रही। जो किस्से टीवी पर दिखाए जा रहे हैं, उनमें सच्चाई कम और कहानी ज्यादा है। और आप सब तो जानते ही हैं कि कहानी को कोई सुने, इसके लिए उसे रोचक बनाना जरूरी हो जाता है। मीडिया ऐसा ही कुछ कर रहा है।

इतना कहते-कहते अटलजी ने विपक्षी सदस्यों से ही सवाल कर लिया- आप सब बताइए कि क्या ऐसा नहीं हो रहा? अचानक हुए सवाल से विपक्षी हड़बड़ा गए और कुछ नहीं बोल पाए। इस तरह अटलजी ने विपक्ष के तल्ख सवालों का जवाब भी दे दिया और खुद विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर दिया।

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