मिशन यूपी : पहला कदम मोदी का, दूसरा योगी बढ़ाएंगे
अजय कुमार
लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने ‘मिशन यूपी- 2022‘ पर काम शुरू कर दिया है। सामजिक और क्षेत्रीय समीकरण साधे, सहयोगी दलों को खुश किया जा रहा है। पार्टी के भीतर की नाराजगी को भी ‘ठंडा‘ किए जाने का प्रयास चल रहा है। इसीलिए छोटे नेताओं को ब्लाक प्रमुख चुनाव में अपने परिवार के सदस्यों को चुनाव लड़ाने की छूट दे दी गई है, तो बड़े नेताओं की नाराजगी दूर करने के लिए मोदी-योगी मोर्चा संभाले हुए हैं। इसीलिए ‘मिशन यूपी-2022 को पूरा करने के लिए पहला कदम उठाते हुए मोदी मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश का कोटा अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दिया गया है। अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित उनकी कैबिनेट में यूपी से आठ मंत्री हुआ करते थे, अब यह संख्या 15 पर पहुंच जाना, यह बताने और समझने के लिए काफी है कि बीजेपी और मोदी के लिए ‘मिशन यूपी-2022‘ कितना महत्व रखता है। इसी के साथ मोदी मंत्रिमंडल में यूपी का सबसे अधिक प्रतिनिधित्व हो गया है।
यही नहीं लखनऊ के तो दोनों ही सांसद (राजनाथ सिंह और कौशल किशोर) मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं। मिशन यूपी-2022 को अमली जामना पहनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहला कदम उठाया है तो जल्द ही दूसरा कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करके उठाने जा रहे हैं। ताकि जिन नेताओं के अरमान ‘दिल्ली‘ में नहीं पूरे हो पाए हैं उनके अरमान ‘लखनऊ‘ में पूरे करके मिशन यूपी-2022 के लिए सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण को और मजबूती प्रदान की जा सके।
योगी भी मोदी की तर्ज पर कुछ मंत्रियों की छुटटी तो कुछ का कद बढ़ा सकते हैं। माना जा रहा है कि ब्लॉेक प्रमुख चुनाव के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार किया जा सकता है। इसमें ओबीसी जातियों में से निषाद समाज को समायोजित किया जा सकता है। कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद को भी योगी कैबिनेट में जगह मिल सकती है। वहीं मनोनीत किए जाने वाले चार विधान परिषद सदस्यों में भी निषाद समाज को प्रतिनिधित्व दिए जाने की अटकलें है। चर्चा है कि मोदी कैबिनेट में जगह बनाने में असफल रहे निषाद समाज के नेता को यूपी में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिल सकती है या फिर पार्टी मनोनीत किए जाने वाले चार विधान परिषद सदस्यों के नामों में से एक डा. संजय निषाद हो सकते हैं। पार्टी का मानना है कि पूर्वांचल में ओबीसी की प्रमुख जातियां में से एक निषाद समाज को पार्टी अपने साथ रखना चाहती है।
खैर, पहले बात मोदी कैबिनेट के विस्तार के द्वारा मिशन यूपी-2022 पूरा किए जाने की कि जाए तो पीएम नरेंद्र मोदी ने जो चेहरे अपनी ‘टीम’ के लिए चुने, वह यूपी की चुनावी पिच पर मजबूती के साथ ‘बैटिंग’ कर सकते हैं। यही वजह है कि मोदी कैबिनेट में किन्हीं बड़े नामों के बजाय सामाजिक समीकरणों को प्राथमिकता दी गई है। तीन पिछड़े, तीन दलित और एक ब्राह्मण बिरादरी के मंत्री के साथ ही बीजेपी ने क्षेत्रीय संतुलन भी साधा है। नए पुराने चेहरों को जोड़ लें तो पूर्वांचल से 5, अवध से 4, पश्चिम यूपी से 3, बुंदलेखंड से 2 और रुहेलखंड से एक चेहरा टीम मोदी का हिस्सा बना है।
गौरतलब हो यूपी के विधानसभा चुनाव के नतीजे जातीय और सामाजिक समीकरणों से सधते हैं। सवर्णों के साथ ही गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलितों को अपने कोर वोट बैंक में बदलने के अभियान में बीजेपी 2014 से ही लगी हुई है। उसे इसका काफी फायदा भी हुआ है। मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में यूपी से आए नए चेहरों में दो कुर्मी बिरादरी से हैं। अनुप्रिया और उनके दल का पूर्वांचल के कई जिलों में प्रभाव है। इस बिरादरी से आने वाले संतोष गंगवार को हटाया गया तो पंकज चौधरी को जोड़कर उसकी भरपाई भी कर दी गई। बदायूं के रहने वाले बीएल वर्मा लोध बिरादरी से आते हैं। मध्य यूपी के कई जिलों में इस बिरादरी के वोट निर्णायक हैं। तीन दलित मंत्रियों में कौशल किशोर पासी, भानुप्रताप वर्मा कोरी और एसपी सिंह बघेल धनगर बिरादरी से आते हैं। 2014 से ही गैर-जाटवों के वोट बीएसपी से छिटक कर बीजेपी में जुड़े हैं। सांसद एसपी सिंह बघेल बीजेपी के पिछड़ा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। अति पिछड़ों में पाल बिरादरी में भी उनका प्रभाव माना जाता है। हालांकि, इस समय वह आगरा की सुरक्षित सीट से सांसद हैं। अजय मिश्र टेनी अवध से आते हैं। इस बेल्ट से केंद्रीय मंत्रिमंडल में ब्राह्मणों की पहले कोई भागीदारी नहीं थी।
यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा की तरह इस बार भी अपनी कैबिनेट का विस्तार अपने हिसाब से करके सबको चौका दिया है,जिन बड़े नामों के मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का ‘शोर’ काफी समय से सुनाई दे रहा था,वह ‘शोर’ ही साबित हुआ और बाजी कोई दूसरा मार ले गया। वरूण गांधी से लेकर रीता बहुगुणा जोशी जैसे चेहरे चर्चाओं व कयासों तक ही सिमट गए। दिल्ली में आस लगाए यूपी में भाजपा के सहयोगी दलों को भी झटका लगा है। तल्ख बयान व चेतवानी जारी करने वाली निषाद पार्टी खाली हाथ रह गई। वहीं, अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को भी कैबिनेट की जगह राज्यमंत्री से ही संतोष करना पड़ा है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रही मेनका गांधी को 2019 में मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली थी। ऐसे में विस्तार में उनके बेटे व पीलीभीत से सांसद वरूण गांधी के समायोजन की चर्चा तेज थी।
प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी के बड़े नाम होने के साथ ही ब्राह्मण चेहरे के तौर पर शामिल किए जाने के कयास थे। हालांकि,उस बेल्ट से महेंद्र नाथ पांडेय पहले से ही केंद्रीय मंत्री है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि 2014 में मोदी युग आने के बाद से भाजपा में बाहरियों की भागीदारी जमकर बढ़ी है। दूसरे दलों से आए बड़े नामों के बीच कार्यकर्ताओं की चिंता को भी संगठन ने नजदीक से महसूस किया है। यही वजह है कि जब इनाम देने का मौका आया तो साफ संदेश दिया गया कि अपनो का विस्तार हमारी पहली प्राथमिकता है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की नजर अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभावी चेहरों को भी तैयार करने पर है। मोदी कैबिनेट के विस्तार में संगठन के खांटी चेहरों को जगह देना इसका साफ संकेत है। मसलन कुर्मियो में बड़ी पैठ रखने वाली अनुप्रिया पटेल को मंत्री बनाने के साथ ही पूर्वांचल से उसी बिरादारी से पंकज चौधरी को मंत्री बना उनका कद बढ़ाया गया है। पंकज पार्टी के तीन दशक से अधिक पुराने कार्यकर्ता है। स्वास्थ्य कारणों से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की घटती सक्रियता के बीच उनके करीबी लोध बिरादारी के बीएल वर्मा को लगातार मिल रहा प्रमोशन भी इसी तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है। जिससे मध्य यूपी में सामाजिक समीकरण दुरूस्त रह सके।
भाजपा में प्रदेश स्तर पर प्रभावी दलित चेहरे को लेकर मंथन चलता ही रहा है। दलितों के मुद्दे पर मुखर रहे कौशल किशोर का लगातार प्रमोशन इस गैप को भरने की कवायद बताई जा रही है। कौशल किशोर को तब मंत्री बनाया गया है जबकि अपने पुत्रवधू से विवाद के चलते उनकी काफी फजीहत होती दिख रही थी। कौशल को यह सब अनदेखा करके इस लिए तवज्जो दी गई क्योंकि उनकी अपने समाज में पैठ भी अच्छी है। और वह दो दशक से अधिक समय से वह जमीन पर काम भी कर रहे है।
मोदी की टीम में शामिल यूपी के नए चेहरे
पंकज चौधरीः महाराजगंज से छठी बार सांसद पंकज चौधरी ने पार्षद से केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया है। 1990-91 में वे गोरखपुर में डिप्टी मेयर रहे। 57 साल के सांसद 1991 से 2019 के बीच केवल एक बार 2009 में चुनाव हारे थे। संगठन के पुराने व समर्पित चेहरों में गिनती होती है। पंकज चौधरी को वित्त राज्यमंत्री बनाया गया है।
अनुप्रिया पटेलः सहयोगी अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया मीरजापुर से दूसरी बार सांसद है। 2012 में वह रोहनिया से विधायक भी चुनी गई थी। मोदी सरकार के पहले टर्म में भी उन्हें विस्तार में राज्यमंत्री बनाया गया था। अनुप्रिया को अब वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री की जिम्मेदार मिली है।
सत्यपाल सिंह(एसपी) बघेलः सपा, बसपा से होते हुए भाजपा में आए बघेल आगरा से सांसद हैं। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे बघेल तीन बार सपा से सांसद रहे। इसके बाद बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा। 2017 में टुंडला सुरक्षित सीट से विधायक बनने के बाद योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने थे। 2019 में भाजपा ने उन्हें आगरा से लोकसभा चुनाव लड़ाया था। बघेल को विधि राज्यमंत्री बनाया गया है।
भानु प्रताप सिंह वर्माः जालौन से सांसद संगठन के पुराने चेहरों में हैं। विधायक रहने के अलावा वह पांचवी बार सांसद हैं। लॅा ग्रेजुएट वर्मा यूपी बीजेपी के एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं लोकसभा की विभिन्न कमेटियों में भी सदस्य रहे हैं। भानु प्रताप को एमएसएमई राज्यमंत्री बनाया गया है।
कौशल किशोरः लखनऊ जिले की मोहनलालगंज संसदीय सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए कौशल किशोर 2014 लोकसभा चुनाव के पहले भगवा दल में आए थे। विधानसभा का सदस्य रह चुके कौशल किशोर इस समय भाजपा के एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पत्नी जय देवी मलिहाबाद से विधायक हैं। कौशल आवास व शहरी मामलों के राज्य मंत्री बने हैं।