मुंबई के सरकारी बंगले ‘रामटेक’ में नहीं रहना चाहता है कोई
एजेंसी/ मुंबई के मालाबार हिल इलाके में समंदर किनारे बना सरकारी बंगला ‘रामटेक’ हाल तक सत्ता के बड़े केंद्र के तौर पर जाना जाता था लेकिन अब यहां कोई नहीं रहना चाहता है, मानो कोई ‘अपशगुन’ इससे जुड़ गया हो… इस बंगले में रहने वाले चार आखिरी बड़े नाम हैं, विलासराव देशमुख, गोपीनाथ मुंडे, छगन भुजबल और एकनाथ खडसे।
साल 2014 के नवंबर में देवेंद्र फडणवीस के सत्ता में आने के कुछ ही हफ्तों बाद उनकी कैबिनेट के मेंबर ‘रामटेक’ अपने नाम पर अलॉट कराने के लिए लामबंदी कर रहे थे। ‘रामटेक’ में हर वो बात है जो मुंबई शहर में इसे बेहद कीमती बना देती है, जो यहां आसानी से नहीं मिलता है, बड़ी जगह, खामोशी और गजब का नजारा। 8,857 वर्ग मीटर में फैला ‘रामटेक’ आखिरकार एकनाथ खडसे को मिला।
शनिवार को खडसे के इस्तीफे के बाद अब इस बंगले को नए मंत्री का इंतजार है लेकिन फडणवीस कैबिनेट में फिलहाल ऐसा कोई नहीं है जो यहां रहना चाहता हो। इसकी वजह ‘साफ’ है। खडसे के राजनीतिक संकट को ‘रामटेक’ के ‘अपशगुन’ से जोड़कर देखा जा रहा है। महाराष्ट्र की राजनीति के चार ताकतवर लोगों की किस्मत में नाटकीय बदलाव तब आया, जब वे ‘रामटेक’ में रह रहे थे।
खडसे के अलावा विलासराव देशमुख (कांग्रेस), गोपीनाथ मुंडे (BJP) और छगन भुजबल (NCP) को ‘रामटेक’ में रहने के दौरान बड़े राजनीतिक झटके लगे। 1995 में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए देशमुख ‘रामटेक’ में ही रह रहे थे। वह विधानसभा चुनावों में अपनी सीट तक हार गए और उनका राजनीतिक करियर लगभग खत्म ही हो गया था। वापसी करने में उन्हें चार साल लग गए। 1996 में शिवसेना-BJP की सरकार थी और ‘रामटेक’ गोपीनाथ मुंडे को अलॉट हुआ।
उन्हें भी अनचाहे विवाद का सामना करना पड़ा और उनकी कुर्सी जाते-जाते बची। 2003 में ‘रामटेक’ भुजबल के पास था और उनका नाम तेलगी स्कैम में उछला। भुजबल 2014 तक ‘रामटेक’ में रहे और अब उनका नया पता ऑर्थर रोड स्थित जेल है। खडसे यहां पिछले साल रहने आए। शनिवार को उन्होंने जमीन घोटाले में नाम आने की वजह से इस्तीफा दे दिया। उन पर दाऊद से भी संपर्क रखने का आरोप था।
माना जा रहा है कि खडसे जल्द ही ‘रामटेक’ खाली कर देंगे। हालांकि अपने राजनीतिक संकट को उन्होंने ‘रामटेक’ के ‘दोषपूर्ण’ वास्तु से जोड़ने से इनकार कर दिया। हालांकि ऐसा लगता है कि उन्हें पता है, मानो यहां कुछ ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमने हाल ही में अंधविश्वास विरोधी कानून पारित किया है इसलिए मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा।’
कहा जाता है कि दो महीने पहले खडसे ने ‘रामटेक’ की वास्तु पूजा भी कराई थी। 2014 में राज्य सरकार के कई मंत्रियों ने आधिकारिक आवास के तौर पर ‘रामटेक’ अलॉट किए जाने की मांग की थी।