मोदी की मंत्री ने अपनी ही सरकार की आलोचना की
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केंद्र के इस कदम से हजारों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मेहनताना देने में मुश्किल आएगी। मेनका संभवत: पहली ऐसी केंद्रीय मंत्री हैं जिन्होंने पीएम मोदी की किसी नीति को लेकर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की है।
मोदी सरकार ने फरवरी में आर्थिक सुधार की गति को तेज करने के तहत बुनियादी सुविधाओं के खर्च को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सामाजिक क्षेत्र के बजट को घटा दिया था। साथ ही राज्य सरकारों से नई दिल्ली से मिलने वाले फेडरल टैक्सों के बड़े हिस्से इस घाटे (गैप) को पूरा करने को कहा था।
महिला एवं बाल बाल कल्याण मंत्री मेनका ने कहा कि मौजूदा बजट 27 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को केवल जनवरी तक ही वेतन देने के लिए पर्याप्त है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अभी हमारे सामने दिक्कत हैं क्योंकि हमारे बजट में की गई कटौती को अभी पूरा नहीं किया गया है।
स्वास्थ्य कर्मियों को वेतन देना में दिक्कत आएगी। यह हमारे लिए बड़ा मसला है। उन्होंने कहा कि फरवरी में हुई बजट में की गई कमी से कुपोषण के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने की हमारी योजनाओं को धक्का लगा। उन्होंने कहा कि कटौती से पहले खाद्य कार्यक्रम के आधुनिकीकरण की तुरंत जरूरत थी।
साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को भी अपडेट किया जाना था जो कि चार दशकों से नहीं हुआ। खाद्य वितरण को उन्होंने बकवास करार देते हुए कहा कि कुप्रबंधन के चलते आधा भोजन बर्बाद हो जाता है।