मोदी केयर पर सालाना 11,000 करोड़ रुपये का आएगा खर्च
मोदी सरकार ने आखिरी पूर्ण बजट में देश के 10 करोड़ परिवारों के 50 करोड़ लोगों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा की है। एक अधिकारी ने बताया कि इस पर केंद्र और राज्य सरकारों को सालाना 11,000 करोड़ रुपये खर्च करना होगा। इस योजना को ओबामाकेयर के तर्ज पर मोदीकेयर का भी नाम दिया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना होगी। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक इसकी शुरुआत 2 अक्टूबर 2018 से होगी। वहीं, पीटीआई ने कहा है कि इसे 15 अगस्त या 2 अक्टूबर को लॉन्च किया जा सकता है। सरकार ने इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, लेकिन अधिकारी ने बताया कि योजना की शुरुआत के बाद और अधिक फंड की व्यवस्था की जाएगी।
इस समय कुछ राज्य सरकारें स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाओं का लाभ दे रही हैं, लेकिन बहुत छोटे स्तर पर या फिर इसे ठीक तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने बजट में ‘आयुष्मान भारत’ नाम से बड़ी फ्लैगशिप योजना को लॉन्च करने का ऐलान किया है। इसे परवान चढ़ाने के लिए नैशनल हेल्थ प्रॉटेक्शन स्कीम की घोषणा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने की गई है।
इस मामले से सीधे तौर पर जुड़े अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया कि प्रति परिवार इंश्योरेंस का खर्च 1,100 रुपये आएगा। नीति आयोग ने शुक्रवार को एक ट्वीट में बताया कि बीमा लाभ के लिए परिवार में सदस्यों के संख्या की कोई सीमा नहीं है।
अधिकारी ने बताया कि इस योजना के लिए हर साल 11 हजार करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसमें 7 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार की ओर से दिया जाएगा और शेष राशि का इंतजाम 29 राज्यों को करना होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में योजना की बारिकियों पर काम होगा और केंद्र सरकार और 5 हजार करोड़ रुपये आवंटित करेगी।
अधिकारी ने बताया कि सरकारी हेल्थ कंपनियां प्रोग्राम को फंड करने के लिए तैयार हैं। जनस्वास्थ्य सेवा में सुधार की दिशा में मोदी सरकार का यह सबसे ताजा कदम है। देश में अस्पतालों और डॉक्टरों की भी कमी है। सरकार ने पिछले कुछ सालों में कई दवाओं और मेडिकल डिवाइसेज की दामों को नियंत्रित किया है और स्वास्थ्य पर खर्च भी बढ़ाया है। हालांकि भारत अभी भी जीडीपी का महज 1 फीसदी ही जनस्वास्थ्य पर खर्च करता है, जोकि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बहुत कम है।