मोदी सरकार को इन पांच बड़े फैसलों पर लेना पड़ा यू-टर्न
केन्द्र सरकार लगातार अपने फैसले बदल रही है। हम आपको सरकार के ऐसे पांच फैसलों से रुबरु करवाने जा रहे हैं, जिन्हें सरकार ने दवाब में बदला है।
1- 25 अप्रैल को सरकार ने संसद को सूचित किया कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर वित्त वर्ष 2015-16 के लिए ब्याज दर बढ़ाकर 8.8 प्रतिशत कर दी। वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह 8.7 प्रतिशत ब्याज दर को मंजूरी दी थी।
कर्मचारी यूनियनों ने वित्त मंत्रालय द्वारा ब्याज दर को घटाकर 8.7 प्रतिशत किए जाने के फैसले के विरोध में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की। जिससे घबरा कर सरकार ने सीबीटी के फैसले को वापस लेते हुए ब्याज दर 8.8 प्रतिशत कर दिया।
2-भारत सरकार ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर वित्त वर्ष 2015-16 के लिए ब्याज दर 0.05 प्रतिशत बढ़ाकर 8.8 प्रतिशत कर दी। मोदी सरकार के इस फैसले की सभी ने निंदा की। बढ़ते विरोध के कारण सरकार दवाब में आ गई और अपने फैसले को पलट दिया। वित्त मंत्रालय ने 8.7 प्रतिशत ब्याज दर को मंजूरी दी।
3- सरकार ने मार्च 2016 में मजदूर संघों और वेतनभोगी वर्ग के बढ़ते विरोध के कारण भविष्य निधि निकासी पर कर लगाने के विवादास्पद बजट प्रस्ताव वापस ले लिया। 29 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत बजट में सरकार ने घोषणा की थी कि ईपीएफ और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) योजनाओं में जब कोई व्यक्ति पर 40% पैसे निकालने पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। इसका मतलब यह था कि ईपीएफ कोष की शेष 60% धन पर कर लिया जाएगा।
4-वर्ष 2015-16 के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) को समाप्त करने का प्रस्ताव किया था।
5- सरकार ने रेल किराए 14.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की, पर 24 जून, 2014 को शिवसेना के दबाव में आकर सरकार ने अपने इस निर्णय को पलट दिया।