मुख्तार अब्बास नकवी लंबे समय से अल्पसंख्यक मामलें के मंत्री रहे हैं. 2019 में और इससे पहले भी वो यह मंत्रालय संभाल चुके हैं. मुख्तार अब्बास नकवी ने सीधी बात में वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला से बात करते हुए कहा कि इस समय अल्पसंख्यक मंत्रालय सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालय है. लोगों में डेवलपमेंट विद डिग्निटी, एम्पावरमेंट विदाउट अपिजमेंट के संकल्प के साथ पीएम मोदी के नेतृत्व में काम कर रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि 2006 में अल्पसंख्यक मंत्रालय बना. तब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हुआ करते थे. आम तौर पर यह माना जाता है कि केवल मुसलमान भाई ही अल्पसंख्यक हैं. बाकी कोई अन्य समुदाय है ही नहीं? ऐसा लगता है इस मंत्रालय को अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ही संभाल सकते हैं?
इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार पीएम मोदी के नेतृत्व की है. पीएम मोदी का देश के विकास के लिए जो भी दिशानिर्देश होता है, उसी के तहत काम करेंगे. हमने ईमानदारी के साथ सभी छह अल्पसंख्यक समुदाय- मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी के लिए समान सशक्तिकरण का कार्य किया है.
नकवी ने एक सवाल के जवाब में सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मुसलमान नौकरियों से ज्यादा जेलों में हैं. वही कांग्रेस पार्टियों की नाकामियों का पुलिंदा था. लेकिन हमने 2014 के बाद यानी कि पिछले सात सालों में किसी भी समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव नहीं किया है. उन्हें समान रूप से अवसर दिया गया है. पीएम मोदी का संकल्प है कि प्रगति की धारा में समाज के हर हिस्से, हर समुदाय के लोग शामिल हों.
क्या 2014 के बाद जेलों में मुसलमानों की संख्या कम हुई है? इस सवाल के जवाब में नकवी ने कहा कि स्कूलों में लड़कियों का ड्रॉपआउट रेट 75 प्रतिशत से घटकर 32 प्रतिशत हुआ है. मैंने जो किया है वह बता सकता हूं. मैंने जेलों में नहीं भेजा. आप अपराध करेंगे तो सजा मिलेगी. धर्म के आधार पर हमलोग अपराध की गिनती नहीं करते. मुझे मालूम नहीं कि धर्म के आधार पर कितने लोग जेलों में बंद हैं. जिसने अपराध किया होगा वह जेल में होगा.
उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी के विकास का सौदा वोट का सौदा नहीं है. पीएम मोदी जब विकास करते हैं तो वो यह नहीं देखते कि किसको स्कॉलरशिप दे रहे हैं, किनको नौकरी दे रहे हैं? दूसरी चीज हमलोगों का मानना है कि गुनहगारों को छोड़ा नहीं जाना चाहिए और बेगुनाहों को छुआ नहीं जाना चाहिए. यह व्यवस्था रहनी चाहिए.
बीजेपी इतनी बड़ी पार्टी है इसके बावजूद अल्पसंख्यक लोगों को राजनीतिक रूप से सशक्त क्यों नहीं किया जा रहा है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पिछले 70 सालों में बहुत से मुसलमान लोकसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस में रहे. कुछ मुख्यमंत्री भी बने, गवर्नर भी बने, बड़े पदों पर आसीन रहे . फिर क्या वजह रही कि मुसलमानों के बीच बेरोजगारी है, वो पिछड़े हुए हैं? सच्चर कमेटी की रिपोर्ट क्यों कहती है कि मुसलमानों में गरीबी है, बेरोजगारी है. वे जेलों के अंदर ज्यादा हैं और बाहर कम हैं. यानी कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों का पॉलिटिकल एम्पावरमेंट नहीं अपिजमेंट कर रही थी. हमलोग एम्पावरमेंट विदआउट अपिजमेंट कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार की नौकरियों में 4.5 प्रतिशत मुसलामानों की भागीदारी थी, जो अब बढ़कर 10 प्रतिशत से ज्यादा है. सिविल सर्विसेज की नौकरी में पहले इस समुदाय के लोगों की भागीदारी नग्णय हो गई थी. 2017 में 178 चुने गए. मोदी सरकार ने काबिलियत की कद्र की है. 2018 में 180-81 कैंडिडेट चुने गए. उसके बाद 2019 में 200 के करीब अभ्यर्थी चुने गए.