यकीनन आप नहीं जानते होंगे कैसे हुआ था भगवान शिव का जन्म
भगवान शिव का जन्म
हिंदू धर्म में भोलेनाथ को संहारक का दर्जा मिला हुआ है. जब संसार पर कोई विपत्ति आती है तो भगवान शिव दुष्टों का संहार करके भक्तों की रक्षा करते हैं. उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय हैं, लेकिन हर किसी के मन में अक्सर ये सवाल आता है कि आखिर भगवान शिव का जन्म कहाँ हुआ, शिव जी के माता-पिता कौन है. आमतौर पर इस बारे में कभी कोई चर्चा नहीं करता है. आखिर कैसे हुए था भगवान शिव का जन्म.
दरअसल, अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव के जन्म और उनके माता-पिता के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है यानि इनकी उत्पत्ति स्वंय हुई हैं. भोलेनाथ जन्म और मृत्यु से परे हैं. विष्णु पुराण में भगवान शिव के जन्म के संबंध में एक कथा प्रचलित है. इसके मुताबिक, एक बार ब्रह्रमा जी को एक बच्चे की जरुरत थी तब उन्होंने इसके लिए तपस्या की. तभी अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए. ब्रह्मा जी ने बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उसका नाम ‘ब्रह्मा’ नहीं है इसलिए वह रो रहा है. तब ब्रह्मा ने शिव का नाम रूद्र रखा जिसका अर्थ होता है रोने वाला.
शिव के इस प्रकार ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण में एक पौराणिक कथा है. इसके अनुसार जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था. तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे. तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए.
जब ये दोनो देव सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए. ब्रह्मा जी ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया. तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई. ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा. शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया. भक्तों के दुखों को दूर करने वाले भोलेबाबा के जन्म के विषय में कोई सही-सही जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, मगर इतना तो तय है कि जो भी भक्त पूरे मन से शिव जी की उपासना करता है, भोलनाथ उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं.