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यहां नवरात्र में राक्षस की पूजा करती हैं कुंवारी लड़कियां

दस्तक टाइम्स/एजेंसी-
jhansi3_1444973854झांसी. इस समय हर तरफ नवरात्र की धूम है। मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। दूसरी ओर बुंदेलखंड में लड़कियां मंदिरों में जाना छोड़ राक्षस पूजा में लगी हुई हैं। मान्यता है कि वे अपनी रक्षा के लिए दीवारों पर राक्षस की फोटो बनाकर उसकी पूजा करती हैं। इससे वह लड़कियों को परेशान नहीं करेगा और शादी के बाद उनकी जिंदगी सुखमय होगी।कुंवारी लड़कियों के राक्षस पूजा के पीछे अपना इतिहास है। माना जाता है कि राक्षस पूजा से कुंवारी लड़कियों को आत्मबल मिलता है और वह शारीरिक रूप से मजबूत होती हैं। इस पूजा को विवाहित लड़कियां नहीं करती हैं। कहा जाता है कि कभी बुराई का प्रतीक रहा ये वही राक्षस है, जिसका भगवान कृष्ण ने वध किया था। इसका उल्लेख श्रीमद भागवत में भी हैलोक संस्कृति के जानकार हरी गोविंद सिंह कुशवाहा बताते हैं कि बुंदेलखंड में नरकासुर नामक इस राक्षस की पूजा की प्रथा को ‘सुआटा’ कहा जाता है। ये वही राक्षस है जिसे भगवान कृष्ण ने मारा था। यह राक्षस कुंवारी लड़कियों का अपहरण कर लेता था और उन्हें अपनी कैद में रखता था। इससे लोग परेशान थे। लड़कियों ने इस राक्षस से बचने का रास्ता निकाला और उसकी पूजा करने लगी। इससे खुश होकर उसने लड़कियों को परेशान करना बंद कर दिया।नरकासुर ने शर्त रखी थी कि उसकी पूजा बंद कर दी गई तो वह फिर से परेशान करना शुरू कर देगा। धीरे-धीरे पूजा करने की इस प्रथा ने एक संस्कृति का रूप ले लिया, जिसे ‘सुआटा’ कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि नरकासुर उन्हीं का अपहरण करता जो शादी के बाद विदा होकर ससुराल जाती रहती थीं। इससे उनका जीवन खराब हो जाता था। इसलिए राक्षस पूजा सिर्फ अविवाहित होने तक ही की जाती है।

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