लखनऊ। आयकर विभाग अरबपति चीफ इंजीनियर यादव सिंह की पत्नी व उनके साझीदारों के दिल्ली, नोएडा व गाजियाबाद स्थित बैंक लॉकरों को सोमवार से खोलने का काम शुरू करेगा। इसके अलावा छापे में मिले दस्तावेजों की जांच-पड़ताल की जाएगी। इसके साथ ही आयकर की जांच आगे बढ़ेगी। इस जांच की आंच अब कुछ बड़े ठेकेदारों और उन्हें संरक्षण देने वाले बड़े सियासी लोगों तक भी पहुंच रही है। नोएडा हो या फिर ग्रेटर नोएडा अथवा यमुना एक्सप्रेस वे, इन औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की सारी परियोजनाएं और इनमें लगने वाले अफसरों व इंजीनियरों की कमान सीधे औद्योगिक विकास आयुक्त के हाथों में ही रहती है। इस नाते औद्योगिक विकास आयुक्त कार्यालय पर भी उंगली उठ रही है कि आखिर इतने दिनों तक यादव सिंह बतौर सी.एम.ई. (चीफ मेन्टेनेंस इंजीनियर) यमुना एक्सप्रेस वे, नोएडा व ग्रेटर नोएडा के निर्माण कार्यों के ठेकों में स्याह-सफेद करता रहा और करोड़ों रुपए डकारता रहा मगर औद्यौगिक विकास आयुक्त कार्यालय ने इस पर टोकाटाकी नहीं की। आखिर क्यों?
इस बीच, खबर है कि आयकर जांच के घेरे में यमुना एक्सप्रेस वे, नोएडा विकास प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा की निर्माण परियोजनाओं व अन्य कार्यों के बाबत पिछले कुछ अरसे के दरम्यान जारी टेण्डर भी आ गए हैं। इन टेण्डरों के जरिये दिये जाने वाले ठेकों में हुई कमीशनखोरी अब आयकर जांच के फोकस में है। यादव सिंह के आवास से मिली डायरी व कुछ अन्य दस्तावेजों में कोड में अंकित ब्योरे में काफी अहम जानकारी मिल रही है। यही नहीं, आयकर महानिदेशक (जांच) कृष्णा सैनी की मानें तो कमीशन किसने किसको दिया, इसका पता भी उन्हें चल चुका है। जांच में लगे आयकर अधिकारियों से हुई बातचीत में एक बात और साफ हो रही है कि यादव सिंह के प्रकरण में औद्योगिक विकास आयुक्त कार्यालय भी बरी नहीं माना जा सकता।