यूपी : गुरु के वेश में कितने घंटाल
जब शिक्षक ही इतने फर्जी हैं तो शिक्षा का स्तर क्या होगा ?
लखनऊ (अमरेन्द्र प्रताप सिंह) : ऐसा समझा जाता है कि जबसे इस सृष्टि में मनुष्य को मनुष्यता का बोध मात्र हुआ होगा, तभी से गुरु शब्द की व्युत्पत्ति हुयी होगी। गुरु शब्द की परिभाषाओं में से एक में है कि, ‘गुरु’ शब्द में ‘गु’ का अर्थ है ‘अंधकार’ और ‘रु’ का अर्थ है ‘प्रकाश’ अर्थात् गुरु का शाब्दिक अर्थ हुआ ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक’। सही अर्थों में गुरु वही है जो अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करे और जो उचित हो उस और उनको ले जाए। सामान्य अर्थों में शिक्षक, जो स्कूलों में शिक्षा देता है और आचार्य जो अपने आचरण से शिक्षा देता है, को हमारे समाज में गुरु माना जाता है।
उपरोक्त के बाद अब हम चलते हैं उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग के द्वारा गढ़ी गयी गुरु शब्द की नयी परिभाषा की ओर, यहां गुरु यानी कि शिक्षक शब्द के मायने ही दूसरे निकल कर आ रहे हैं, यहां हजारों-हजार घंटालों ने गुरुओं का रूप रखकर सरकारी माल बटोरने की मुहिम वर्षों से चला रखी है। इन घंटालों ने फर्जीवाड़े की हद पार कर जबरन अपने आप को गुरु बनाकर सिस्टम का मजाक बना दिया।
न पढ़ाई न लिखाई, किसी दूसरे की डिग्री चुराई, शासन में बैठे घूसखोर महागुरूओं ओर उनके चेलों के रूप में गली-गली विचरण कर रहे दलालों को मलाई खिलाई ओर बन गए गुरु, समझ में नहीं आता कि वशिष्ठ, विश्वामित्र, द्रोणाचार्य ओर कृपाचार्य की परम्परा की दुहाई देने वाले इस देश में जहां डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन पर प्रति वर्ष शिक्षक दिवस मनाया जाता है, गुरु के नाम पर इन घंटालों की बाजीगरी कैसे चल गयी?
गुरु के वेश में हजारों जालसाज घंटाल लूट रहे सरकारी धन : अब जबकि देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में इस मामले की छानबीन से हजारों-हजार जालसाज घंटालों का गुरु के वेश में पकड़ा जाना लगातार जारी है। रोज नयी अनामिकायें, दीप्ती, प्रीती ओर बबली पकड़ी या पकडे जा रहें हैं। विभाग के मंत्री खुद दो हजार के आसपास की संख्या में फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त किये जाने की बात स्वीकार कर चुके हैं। आये दिन दूसरे के नाम, दूसरे की डिग्रियों ओर फ्राड दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वालों की लिस्ट सामने आ रही है। तो ऐसे में सवाल उठता है कि जब शिक्षक ही इतने फर्जी हैं तो फिर हमारे बच्चों के भविष्य के निर्माण के लिए बने इस शैक्षिक-शैक्षणिक सिस्टम वाली शिक्षा का स्तर क्या होगा?
सहायक अध्यापक से प्रधानाचार्य तक पहुंच गए कई जालसाज : देश के इस सबसे बड़े राज्य में अनामिका शुक्ला प्रकरण चर्चा में है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अनामिका शुक्ला के दस्तावेज पर अलग-अलग महिलाओं द्वारा नौकरी करके वेतन लेने के मामले सामने आए हैं। पुलिस का विशेष कार्यबल इसकी जांच कर रहा है। अनामिका शुक्ला के अलावा दीप्ति सिंह और प्रीती यादव नाम की शिक्षिकाओं के मामले भी सामने आये हैं। राजधानी के बगल के जनपद बाराबंकी में ही तीन शिक्षकों को फर्जी नाम पर नौकरी करते पाया गया, इनमे से एक तो सहायक अध्यापक से प्रधानाचार्य तक का सफर भी तय कर चुका था। अब इन्हे बर्खास्त किया जा चुका है, और पुलिस इन्हे तलाश कर रही है।
फर्जीवाडे की जड़ें बहुत गहरी और दूर तक फैली हुयी : ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग में इस प्रकार के फर्जीवाडे की जड़ें बहुत गहरी और दूर तक फैली हुयी हैं, मास्टर और मास्टरनी साहब के नाम से न जाने कितने जालसाज सरकारी पैसे की लूट के साथ हमारे नन्हे मुन्नों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। राज्य के बेसिक शिक्षा मंत्री के कुछ दिन पहले के बयान अनुसार अबतक 1701 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त भी किया जा चुका है। प्रदेश के इतिहास में किसी एक विभाग के कर्मचारियों की बर्खास्तगी का यह सबसे बड़ा मामला है। यह स्थिति तब है जब अभी एक तरफ से सभी की जांच होना बाकी है, अब जबकि सीएम के आदेश के बाद शिक्षा से सम्बंधित सभी विभागों में नियुक्तियों के दस्तावेज खंगाले जाएंगे तो कितनी अनामिकाएं, दीप्ति और प्रीती यादव निकलेंगी या निकलेंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
मुख्यमंत्री ने दिए शिक्षा से जुड़े सभी विभागों में जांच के आदेश : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अब शिक्षा विभाग के इस फर्जीवाडे पर बेहद सख्त रुख दिखाया है। उन्होंने शिक्षा विभाग के तालाब में जालसाजी और फ्राड करके तैर रही सभी गंदी मछलियों को बाहर निकालने के आदेश जारी किये हैं। मुख्यमंत्री ने माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, बेसिक शिक्षा, समाज कल्याण तथा कस्तूरबा गांधी विद्यालय में नियुक्त शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच के लिए एक डेडिकेटेड टीम बनाने का निर्देश देते हुए कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि अगर कहीं पर भी कोई व्यक्ति फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी करता हुआ पाया जाए तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।