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योगी सरकार के आठ साल : बीमारू राज्य का हुआ इलाज

योगी आदित्यनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री आठ साल पूरे कर लिए हैं। वे यूपी के अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो लगातार इतने लंबे समय तक सीएम रहे। उन्होंने कांग्रेस के डॉ. संपूर्णानंद का रिकार्ड बहुत पहले तोड़ दिया था, जो 1954 से 1960 तक करीब 6 साल तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे। इन आठ वर्षों को योगी सरकार ने ‘उत्कर्ष काल’ का नाम दिया है। यूपी को बीमारू राज्य के अस्पताल से छुट्टी मिल गई। बीते आठ साल में यूपी की हुई तरक्की पर लखनऊ से संजय सक्सेना की रिपोर्ट।

देश में ‘बुलडोजर बाबा’ के नाम से मशहूर योगी आदित्यनाथ ने खुद को भारत के सबसे लोकप्रिय राजनीतिक व्यक्तियों में से एक के रूप में स्थापित किया है। इसका मुख्य कारण उनकी अपराध के प्रति सख्त छवि और मजबूर्त ंहदुत्व पहचान है। इसी पहचान ने उन्हें तमाम सर्वे में देश का सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला सीएम बनाया। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले महीने अपने दूसरे कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं, जिससे उनका मुख्यमंत्री कार्यकाल कुल आठ वर्षों का हो गया है। योगी के इन आठ वर्षों के कामों का विश्लेषण करें तो कामयाबियों की एक लंबी शृंखला नजर आएगी। आठ साल में राज्य सकल घरेलू उत्पाद दोगुने से अधिक हो गया। अब यूपी की भारत की जीडीपी में हिस्सेदारी 7वें नम्बर से घटकर दूसरे नम्बर पर आ गई है। यूपी अब देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। योगी सरकार ने राज्य में जिस तरह अपराध और अपराधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई उससे आम जनता को काफी राहत महसूस हुई और सूबे में संगठित अपराध और माफिया राज पर लगाम लगी। राज्य में दंगे और बर्ड़ी ंहसक घटनाएं थमीं, जिससे उत्तर प्रदेश की छवि एक सुरक्षित राज्य के रूप में मजबूत हुई। एनकाउंटर, गैंगस्टर एक्ट के तहत संपत्ति जब्ती और कठोर कार्रवाइयों से अपराधियों में डर पैदा हुआ।

तमाम सर्वे बताते हैं कि प्रदेश की 24 करोड़ जनता इस परिवर्तन को स्पष्ट रूप से महसूस कर रही है। आठ साल पहले यूपी को बीमारू राज्यों में गिना जाता था, लेकिन आज यह देश की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन चुका है। औद्योगिक विकास और निवेश में नये आयाम बने हैं। गरीबों और किसानों के लिए कई योजनाएं चालू की गई हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार देखने को मिल रहा है। योगी सरकार में महिलाओं के कल्याण के लिए भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आठ साल पूरे होने पर प्रेस कांफ्रेस में जब अपने आठ साल की कामयाबियां गिना रहे थे तो उनके चेहरे पर अपनी सरकार के कामकाज को लेकर विश्वास साफ नजर आ रहा था। अब योगी की नजर 2027 के विधान सभा चुनाव पर लगी है।

आर्थिक प्रगति और निवेश
पिछले आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए। राज्य अब ‘रेवेन्यू सरप्लस स्टेट’ बन गया है और प्रति व्यक्ति आय 2016-17 की तुलना में दोगुनी से अधिक हो गई है। निवेश के लिए अनुकूल नीतियां और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास ने यूपी को निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बनाया। ग्लोबल इनवेस्टर समिट में यूपी को 40 लाख करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव हासिल हुआ, जिनमें से 15 लाख करोड़ रुपये के निवेश को जमीन पर उतारा जा चुका है। इससे 60 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार मिला है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और लखनऊ जैसे शहर इंडस्ट्रियल हब के रूप में उभर रहे हैं। अर्थ व्यवस्था में 11.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई।

गरीबी उन्मूलन
डबल इंजन सरकार (केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार) के प्रयासों से 6 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में सफलता मिली। गरीब कल्याण योजनाओं जैसे उज्ज्वला, आयुष्मान भारत और कन्या सुमंगला योजना ने जनता के जीवन स्तर को बेहतर किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में योगी सरकार ने गरीबों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। 15 करोड़ गरीबों को हर माह मुफ्त राशन, 1.86 करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन, 2.86 करोड़ किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि का लाभ, और 5.21 करोड़ लोगों को आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त इलाज दिया गया है। 56.50 लाख परिवारों को मुफ्त आवास भी प्रदान किए गए हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का उत्थान: अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ धाम का पुनरुद्धार और्र ंवध्य कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट्स ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया। 2024 के दीपोत्सव में अयोध्या में 25 लाख से अधिक दीप जलाकर गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड बनाया गया। ये कदम सांस्कृतिक पुनस्र्थापना के साथ आर्थिक अवसर भी लेकर आए।

इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी : राज्य में मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया, जिसमें एक्सप्रेसवे (जैसे गंगा एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे), हवाई अड्डों (जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) और बेहतर सड़क नेटवर्क शामिल हैं। इससे सुगम कनेक्टिविटी और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला।

पर्यावरण संरक्षण : पिछले आठ सालों में 210 करोड़ से अधिक वृक्षारोपण के कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू किया गया, जिससे पर्यावरण संरक्षण में योगदान मिला।

शिक्षा और स्वास्थ्य: 18 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, संस्कृत छात्रवृत्ति में तीन गुना वृद्धि और राज्य अध्यापक पुरस्कार की राशि को 10,000 से 25,000 रुपये तक बढ़ाने जैसे कदम उठाए गए। स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव आया है। 2017 तक प्रदेश में केवल 12 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 80 हो गई है। गोरखपुर और रायबरेली में एम्स की स्थापना हो चुकी है। एक जनपद-एक मेडिकल कॉलेज योजना को तेजी से लागू किया जा रहा है। इसी तरह, शिक्षा क्षेत्र में सुधार करते हुए सरकारी स्कूलों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाया गया है।

महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं
एंटी-रोमियो स्क्वाड के गठन से महिलाओं की सुरक्षा बढ़ी। कन्या सुमंगला योजना की राशि को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया गया, जिससे बेटियों की शिक्षा और विकास को प्रोत्साहन मिला। योगी सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अलावा निराश्रित महिला पेंशन योजना और पीएम स्वनिधि योजना जैसी योजनाएं लागू की हैं। 95 लाख से अधिक महिलाओं को ग्रामीण आजीविका मिशन से जोड़ा गया है। महिला स्वयं सहायता समूहों को 2,510 उचित मूल्य की दुकानें आवंटित की गई हैं।

एमएसएमई और रोजगार
प्रदेश में 96 लाख से अधिक एमएसएमई इकाइयां कार्यरत हैं, जिससे युवाओं को जॉब सीकर से जॉब क्रिएटर बनने का अवसर मिला है। 2016 में प्रदेश की बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत थी, जो अब घटकर तीन प्रतिशत हो गई है। सरकारी भर्तियों को पारदर्शी बनाने के लिए यूपी सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) कानून लागू किया गया है।

विवादों में भी घिरे योगी

इन आठ वर्षों में सीएम योगी आदित्यनाथ कई विवादों में भी घिरे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 2024 तक 200 से अधिक कथित अपराधी मारे गए। विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों ने इसे ‘फर्जी एनकाउंटर’ करार देते हुए मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया। योगी के कुछ बयानों को सांप्रदायिक और मुस्लिम-विरोधी माना गया। मसलन, ‘अब्बाजान’ और ‘80-20’ जैसे बयानों पर योगी को तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा। कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का 2024 का आदेश सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव माना गया।

2020 में लागू लव जिहाद कानून भी चर्चा में रहा। 2019-2020 में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की सख्ती ने विवाद को जन्म दिया। लखनऊ, अलीगढ़ और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों पर हुई गोलीबारी में कई मौतें हुईं। सरकार पर शांतिपूर्ण विरोध को दबाने और मुस्लिम समुदाय को टारगेट करने का आरोप लगा। 69,000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमों के कथित उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोपों ने 2020 में विवाद खड़ा किया। अभ्यर्थियों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए और मामला कोर्ट तक पहुंचा।

अपराधियों और अवैध निर्माणों के खिलाफ ‘बुलडोजर एक्शन’ को योगी की सख्त छवि का प्रतीक माना गया, लेकिन इसे असंवैधानिक और अल्पसंख्यकों के खिलाफ पक्षपातपूर्ण ठहराया गया। 2022 में प्रयागराज में अफजाल अंसारी के घर पर कार्रवाई और अन्य मामलों ने इसे राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सवाल उठाए। 2021 में योगी के जनसंख्या नियंत्रण पर दिए गए बयानों, जिसमें उन्होंने ‘संसाधनों पर असंतुलन’ का जिक्र किया, को एक खास समुदाय के खिलाफ टिप्पणी माना गया, जिससे विवाद बढ़ा। 2020 में हाथरस में दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी मृत्यु के बाद सरकारी मशीनरी विवादों में आई।

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