उत्तर प्रदेश

योग गुरु रामदेव ने संगम में लगाई डुबकी, और संतों को भी कराया योग

योग गुरु बाबा रामदेव ने सोमवार को प्रयागराज में चल रहे कुंभ में योग किया. उन्होंने गंगा जल से आचमन किया और निरंजनी अखाड़े में नागा साधुओं को आशीर्वाद दिया. बाबा रामदेव ने प्रयागराज में दो दिनों का ध्यान और साधना शिविर आयोजित किया था. गुरुकार्ष्णि कुंभमेला शिविर में 26 और 27 जनवरी को आयोजित योग और साधना शिविर में संतों के साथ साथ कुंभ में दूर-दूर से पधारे लोगों ने हिस्सा लिया.

योग गुरु रामदेव ने संगम में लगाई डुबकी, और संतों को भी कराया योगइसी के साथ प्रयागराज में चल रहे कुंभ में लगातार बड़े साधु-संतों और नेताओं का पहुंचना जारी है. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी रविवार को कुंभ पहुंचे. उन्होंने महाराज हर्षवर्धन की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, उसके बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी से मुलाकात की.

बीते 21 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन 1 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई. कुंभ में स्नान का यह दूसरा दिन था. कड़ाके की ठंड के बावजूद देश-दुनिया के कोने-कोने से आए लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान के बाद विधिवत पूजा-अर्चना की. प्रयाग में आगंतुकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यूपी पुलिस के अलावा पैरा-मिलिटरी की कई टुकड़ियां सुरक्षा में लगी हैं. रेलवे स्टेशन और बस स्टॉप पर खास ध्यान दिया जा रहा है.

कुंभ मेले में अगला पवित्र स्नान 4 फरवरी को मौनी अमावस्या के दिन है. स्थानीय प्रशासन को इस दिन बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है, इसलिए सुविधा और सुरक्षा की तैयारियां बढ़ा दी गई हैं.

एक दिन पहले 27 जनवरी को बाबा रामदेव ने संतों को भी भारतरत्न देने की मांग की. प्रयागराज पहुंचे योग गुरु ने मदर टेरेसा को भारतरत्न देने जाने को एक धर्म विशेष के होने से जोड़ा. हालांकि प्रणब मुखर्जी, नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को यह सम्मान दिए जाने पर उन्होंने खुशी जाहिर की. इससे जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इससे भारत गौरवान्वित हुआ है और सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को भारतरत्न देकर सही काम किया है.

उन्होंने कहा कि ‘यह दुर्भाग्य की बात है कि पिछले 70 साल में किसी भी संन्यासी को भारतरत्न नहीं मिला. कई संन्यासी ऐसे हैं, जिन्होंने बड़े और महान काम किए हैं, चाहे वह महर्षि दयानंद सरस्वती हों या स्वामी विवेकानंद, शिवकुमार स्वामी जी. इन सभी संतों ने बड़ा योगदान दिया है लेकिन यह दुर्भाग्य है कि किसी भी संन्यासी को आज तक भारतरत्न से सम्मानित नहीं किया गया.’ योगगुरु ने कहा कि वे भारत सरकार से मांग करते हैं कि देश के साधु-संन्यासियों को भी भारत रत्न से नवाजा जाए.

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