योग प्रदर्शन द्वारा भारत की सांस्कृतिक विरासत को सारे विश्व में पहुंचाएंगे
न्यूयार्क में योग प्रदर्शन हेतु सीएमएस का 73-सदस्यीय छात्र दल अमेरिका रवाना
नई दिल्ली। ‘योग’ वर्तमान समय की अनिवार्य आवश्यकता है और यह हमारी महान साँस्कृतिक विरासत भी है। संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय में योग प्रदर्शन कर हम सम्पूर्ण विश्व को आरोग्य का संदेश देने के साथ ही देश की साँस्कृतिक विरासत को भी विश्व समाज में प्रचारित-प्रवाहित करेंगे। ये विचार हैं सिटी मोन्टेसरी स्कूल (सी.एम.एस.), लखनऊ के छात्रों के, जो संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय में योग प्रदर्शन हेतु आज अमेरिका रवाना हुए। अमेरिका रवाना होने से पूर्व सी.एम.एस. के 73-सदस्यीय छात्र दल के सदस्य आज यहाँ यू.पी. भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में पत्रकारों से मिले और संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय में योग प्रदर्शन पर अपने विचार व्यक्त किये। विदित हो कि सिटी मोन्टेसरी स्कूल (सी.एम.एस.), लखनऊ का 73 सदस्यीय छात्र दल अमेरिका की शैक्षिक यात्रा पर रवाना हो रहा है जो आगामी 21 जून को तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय में योग प्रदर्शन करेगा। इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव श्री एंटोनियो गुटेरेस भी उपस्थित रहेंगे।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए सी.एम.एस. छात्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया गया, जो हम सभी भारतवासियों के लिए गर्व का विषय है। हम छात्रों के लिए यह शानदार अवसर है कि हमें संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय में योग प्रदर्शित कर देश की साँस्कृतिक विरासत को सम्पूर्ण विश्व में प्रवाहित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। प्रेस कान्फ्रेन्स में उपस्थित सिटी मोन्टेसरी स्कूल (सी.एम.एस.), लखनऊ के संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि सी.एम.एस. छात्रों को संयुक्त राष्ट्र संघ में योग प्रदर्शन का अवसर मिलना हम सभी देशवासियों के लिए प्रसन्नता का विषय है। मुझे विश्वास है कि सी.एम.एस. छात्रों की यह यात्रा योग विद्या को सम्पूर्ण विश्व में प्रचारित-प्रवाहित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। डा. गाँधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से देश का जन-मानस योग के महत्व से लगातार परिचित हो रहा है और विगत कुछ वर्षों से काफी जागरूकता आई है। हमारा प्रयास है कि इस जागरूकता का विस्तार सारे विश्व में हो, ताकि समस्त विश्व समुदाय इससे लाभानिवत हो सके।