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राज कपूर की हालत इतनी खराब थी की प्रेसिडेंट खुद उन्हें अवार्ड देने आये।

यह दर्दनाक कहानी है बॉलिवुड में शोमैन के नाम से फेमस ऐक्टर राज कपूर (Raj Kapoor ) की। राज कपूर जिन्हें 1988 में देश के सबसे सम्मानित अवॉर्ड में से एक दादासाहब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb Phalke Award) दिया गया। जब स्टेज पर उनका नाम अनाउंस किया गया तो राज कपूर की हालत इतनी खराब थी कि वह अपनी कुर्सी से उठ तक नहीं पाए थे। अंत में राष्ट्रपति खुद उनके पास चलकर पहुंचे थे।

राज कपूर के लिए राष्ट्रपति ने तोड़ा था प्रोटोकॉल

यह किस्सा राज कपूर की लाइफ के उस आखिरी साल का है, जब उनका शरीर जवाब देने लगा था और फिर उन्होंने दुनिया को अलविदा कर दिया था। रीमा जैन ने अपने पिता की यह दर्द भरी कहानी फिल्मफेयर को सुनाई थी, जिसमें साल 1988 में राज कपूर को दादासाहब फाल्के अवॉर्ड देने के लिए राष्ट्रपति ने एक प्रोटोकॉल तोड़ दिया था।

उस दिन दिल्ली में उठी थी धूल भरी आंधी

रीमा ने इस कहानी को सुनाते हुए बताया था कि यह अवॉर्ड दिल्ली में 2 मई 1988 को दिया जाना था और वह 30 अप्रैल को ही मुंबई से रवाना हो चुके थे। उन्होंने कहा था, ‘उस दिन दिल्ली में धूल भरी आंधी उठी थी, जैसे ही प्लेन का दरवाजा खुला, धूल वाली हवाओं से उनका स्वागत हुआ। चूंकि वह अस्थमा पेशंट थे तो इससे उनके लंग्स को काफी नुकसान पहुंचा।’

अपनी सीट से उठ ही नहीं पा रहे थे राज कपूर

उन्होंने बताया, ‘पापा ने ऑक्सिजन सिलिंडर के साथ ही इस फंक्शन को अटेंड किया। पूरे फंक्शन के दौरान वह परेशान औऱ रेस्टलेस से रहे। वह इतनी बेचैनी महसूस कर रहे थे कि लगातार मेरी मां का हाथ जोर से दबा रहे थे। फाइनली जब उनका नाम अनाउंस किया गया तो वह अपनी सीट से उठ ही नहीं पाए। इसके बाद हलचल होने लगी।’

राष्ट्रपति ने कहा- इन्हें मेरे एम्ब्युलेंस में लेकर जाइए

रीमा ने आगे बताया, ‘जब पापा सीट से नहीं उठे तो राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरमण की नजरें पापा की तकलीफ को भांप गईं। वह स्टेज से उतरकर अवॉर्ड देने के लिए उनके पास चलकर आए। उन्होंने कहा- इनके मेरे एम्ब्युलेंस में लेकर हॉस्पिटल जाइए। इसके बाद पापा को वेंटिलेटर पर रखा गया। उनके हेल्थ को लेकर न्यूज़ बुलेटिन चलाया जाने लगा। आखिरी सप्ताह काफी बुरा रहा। जब 2 जून 1988 को वह गुजर गए तो हम तरह से रिलीव महसूस कर रहे थे क्योंकि वह बहुत तकलीफ में थे।’

‘पापा की बॉडी को फ्लाइट में पैसेंजर सीट पर लेकर गए’

राज कपूर के दोस्त का किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा, ‘ जब 27 अगस्त 1973 को अमेरिका में उनके क्लोज़ फ्रेंड मुकेश जी का निधन हुआ तो पापा काफी परेशान थे। उन्होंने कहा कि मेरा दोस्त पैसेंजर की तरह गया और लगेज (सामान) की तरह उधर से आया। लेकिन पापा की बॉडी को फ्लाइट में पैसेंजर सीट पर रख कर हम कपूर फैमिली साथ लौटे। वह शोमैन की तरह रहे और शोमैन की तरह ही गए।’

3 नैशनल अवॉर्ड से सम्मानित, कान फिल्म फेस्टिवल में नॉमेनेट

राज कपूर एंटरटेनमेंट की दुनिया का वह चेहरा हैं, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। अपनी फिल्म ‘आवारा’ और ‘बूट पॉलिश’ के लिए Cannes Film Festival के सबसे बड़े अवॉर्ड (Palme d’Or) के लिए नॉमिनेट राज कपूर को 3 नैशनल अवॉर्ड्स, 11 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स, क्रिस्टल ग्लोब अवॉर्ड, पद्म भूषण और दादासाहब फाल्के अवॉर्ड जैसे न जाने कितने अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं।

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