रामगोपाल का समाजवादी रुख देख नरम पड़े शिवपाल
लखनऊ। समाजवादी पार्टी से हाल ही में निष्कासित होने वाले राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव के बहाए गए आंसुओं का असर दिखने लगा है। बता दें कुछ दिनों पहले इटावा में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान रामगोपाल भावुक हो गए थे। रोते हुए उन्होंने खुद को पार्टी का एक समर्पित नेता बताया था। वहीं अब संसद में रामगोपाल ने नोट बंदी के मामले में सपा का पक्ष रखा।
संसद में रामगोपाल
बुधवार को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्य सभा में समाजवादी पार्टी की तरफ से नोट बंदी पर उन्होंने अपना पक्ष रखा। इसे देख कर अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें लेकर समाजवादी पार्टी सुप्रीमो कुछ नरम हो रहे हैं।
हालाँकि इस बाबत जब सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे इस पर कुछ नहीं बोलेंगे। इससे पहले शिवपाल रामगोपाल का नाम आने पर भड़क जाते थे, लेकिन इस बार उनका रुख जरा नरम दिखा।
जो भी फैसला लेना होगा वह नेताजी (मुलायम सिंह यादव) लेंगे। शिवपाल के अलावा भी पार्टी का कोई अन्य नेता इस मुद्दे पर बातचीत को तैयार नहीं है।
इससे पहले रामगोपाल यादव ने राज्य सभा में कहा कि सरकार के इस फैसले से आम लोगों की जान संकट में पड़ गई है। उन्होंने कहा जो आज लाइन में लगे हैं, उनमें कोई भी अमीर नहीं है।
इस देश की 90 फ़ीसदी पूंजी 10-12 लोगों के पास है। वह लाइन में नहीं लगा है। जो लाइन में लगा है वह किसी की मां है, गरीब किसान और मजदूर है। सरकार सदन को बताए की उसने कितना कालाधन इकठ्ठा किया और कितनों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
उन्होंने किसानों का मुद्दा भी अपने प्रकरण में रखा था। अपनी बात में उन्होंने लोगों को अवगत कराने की कोशिश की थी कि इस नोट बंदी के फैसले से सबसे ज्यादा परेशान किसान हैं।
इस फैसले के आने के बाद से उन्हें ढंग से खाद नहीं मिल पा रही है। इसकी वजह से फासले बर्बाद हो रही हैं। लोग फल नहीं खरीद पा रहे हैं। दुकानदार सादे हुए फल कूड़े में फेंक रहे हैं।
इसके अलावा रामगोपाल ने बीजीपी के नेता की ओर इशारा करते हुए उस बात पर सवालिया निशान लगाया जिसमें ऐलान से पहले नोट बंदी की बात गुप्त रखने की बात कही गयी थी।
उन्होंने कहा कि यदि ये मामला इतना गुट था तो कैसे इस फैसले के ऐलान से पहले ही दो हजार के नोट को ट्वीट कर दिया था। सदन को इस मामले की जांच करवानी चाहिए।