राम जेठमलानी का 95 साल की उम्र में निधन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने जताया शोक
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी का 95 वर्ष की उम्र में रविवार को उनके दिल्ली स्थित आवास पर निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। जेठमलानी की गिनती देश के मशहूर आपराधिक मामलों के वकीलों में होती थी। वह राष्ट्रीय जनता दल से वर्तमान में राज्यसभा सांसद थे। उन्हें राजद ने 2016 में राज्यसभा भेजा था। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कानून मंत्री का पदभार संभाला था। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शोक व्यक्त किया है।
दो बार मुंबई लोकसभा सीट से भाजपा सांसद चुने गए। हालांकि 2004 में उन्होंने अटल बिहारी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। उनका जन्म अविभाजित भारत के सिंध प्रांत (वर्तमान पाकिस्तान) में 14 सितंबर 1923 को हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया था। वह कोर्ट में बिना माइक के जिरह किया करते थे। वह अपने मुकदमों के अलावा अपने बयानों के कारण भी अक्सर चर्चा में रहते थे।
आज शाम को लोधी रोड पर होगा अंतिम संस्कार
जेठमलानी के बेटे महेश जेठमलानी ने बताया कि जेठमलानी ने नई दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास में सुबह पौने आठ बजे अंतिम सांस ली। महेश और उनके अन्य निकट संबंधियों ने बताया कि उनकी तबियत कुछ महीनों से ठीक नहीं थी। उनके बेटे ने बताया कि कुछ दिन बाद 14 सितंबर को राम जेठमलानी का 96वां जन्मदिन आने वाला था। महेश ने बताया कि उनके पिता का अंतिम सरकार यहां लोधी रोड स्थित शवदाहगृह में शाम को किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने जाताया शोक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जेठमलानी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, ‘पूर्व केंद्रीय मंत्री और एक अनुभवी वकील श्री राम जेठमलानी के निधन से दुखी हूं। वह अपनी विशिष्ट वाक्पटुता के साथ सार्वजनिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे। राष्ट्र ने एक प्रतिष्ठित न्यायविद्, विद्वान और बुद्धिमान व्यक्ति खो दिया।’
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ट वकील को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘राम जेठमलानी के सबसे अच्छे पहलुओं में से एक उनकी अपने मन की बात कहने की क्षमता थी। वह ऐसा बिना किसी डर के करते थे। आपातकाल के काले दिनों के दौरान उन्हें स्वतंत्रता और लोगों के अधिकारों की लड़ाई के लिए याद किया जाएगा। जरूरतमंदों की मदद करना उनके व्यक्तित्व का एक अभिन्न हिस्सा था। मैं खुद के भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे उनसे मुलाकात करने के कई मौके मिले। इस दुखद क्षण में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और प्रियजनों के साथ हैं। वह बेशक अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनका कार्य हमारा पथ प्रदर्शन करता रहेगा। ओम शांति।’
नियमों में किया गया था संशोधन
17 साल की उम्र में जेठमलानी ने वकालत की डिग्री प्राप्त कर ली थी। उस समय नियमों में संशोधन करके उन्हें 18 साल की उम्र में प्रैक्टिस करने की इजाजत दी गई। जबकि नियमानुसार प्रैक्टिस करने की उम्र 21 वर्ष तय थी। उन्हें यह छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि उन्होंने अदालत से अनुरोध करते हुए एक आवेदन दिया था। जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था।
प्रमुख केस
राम जेठमलानी ने कई बड़े केस लड़े हैं। जिनमें नानावटी बनाम महाराष्ट्र सरकार, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और बेअंत सिंह, हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट स्कैम, हाजी मस्तान केस, हवाला स्कैम, मद्रास हाईकोर्ट, आतंकी अफजल गुरु, जेसिका लाल मर्डर केस, 2जी स्कैम केस और आसाराम का मामला शामिल है.
मुफ्त लड़े कई केस
जेठमलानी एक समय पर भारत में सबसे ज्यादा टैक्स देने वाले लोगों की सूची में शामिल थे। उन्होंने कई केस मुफ्ट में भी लड़े हैं। अपने बेबाक अंदाज और तेवर के कारण कभी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले जेठमलानी को भाजपा ने छह साल के लिए प्रतिबंधित किया था। जिसके कारण उन्होंने वाजपेयी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।