राम मंदिर-ओशिवारा के पेंच में फंसा रेलवे स्टेशन का उद्घाटन
सुधीर जोशी
कुछ रेलवे स्टेशन अपनी स्थापना से लेकर ही विवादों में रहते हैं, ऐसे स्टेशनों में राम मंदिर का भी समावेश हो गया है। पहले ओशिवरा के नाम से बनने वाले राम मंदिर स्टेशन का उद्घाटन 18 दिसंबर को होने वाला था, लेकिन इस उद्घाटन समारोह में वरिष्ठ भाजपा नेता, पूर्व रेल मंत्री तथा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के न आ पाने की वजह से पूरी तैयारी के बवाजूद बहुप्रतिक्षित राम मंदिर स्टेशन का उद्घाटन एक बार फिर टाल दिया गया। हालांकि 18 दिसंबर को केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु मुंबई में थे, उन्होंने दादर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 7, वसई स्टेशन के एस्केलेटर, दीवा स्टेशन के तेज लोकल के पड़ाव, कुछ स्टेशनों पर वाई फाई की शुरुआत तथा बांद्रा गोरखपुर को हरी झंडी दिखायी, लेकिन इन सभी उद्घाटन कार्यक्रमों के दौरान राम मंदिर रेलवे स्टेशन का उद्घाटन उन्होंने नहीं किया, इस कारण काफी समय से राम मंदिर स्टेशन के उद्घाटन की प्रतीक्षा करने वालों को एक बार फिर मायूस होना पड़ा।
काफी प्रतीक्षा के बाद बनकर तैयार हुए राम मंदिर रेलवे स्टेशन को पहले ओशिवारा नाम दिया जाने वाला था लेकिन कहा जा रहा है कि स्टेशन के पास एक राम मंदिर तथा राम मंदिर नामक रहिवासी इलाका भी है, इसलिए इस स्टेशन का नाम ओशिवारा के स्थान पर राम मंदिर करने का निर्णय लिया गया। विगत 25 नवंबर को महाराष्ट्र सरकार ने ओशिवरा के स्थान पर इस स्टेशन का नाम राम मंदिर करने को स्वीकृति दे दी थी और स्टेशन का उद्घाटन 27 नवंबर को करने का निर्णय लिया गया। लेकिन नए नाम के कारण अनाउंसमेंट सिस्टम, प्लेटफार्म पर नाम के बदलाव का इंडिकेटर में नाम परिवर्तन के कारण उद्घाटन समारोह टाल दिया गया। इसके बाद स्टेशन पर जब सब कुछ ठीक हो गया तो अब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल तथा पूर्व केन्द्रीय रेल मंत्री राम नाईक के इस उद्घाटन समारोह में न आ पाने के कारण उक्त कार्यक्रम को टाल दिया गया है। बताया तो यह भी जा रहा है कि कुछ राजनीतिक दल ओशिवरा से स्थान पर स्टेशन का नाम राम मंदिर रखे जाने से नाराज हैं, वे इसे भी भाजपा की हिंदुत्ववादी राजनीति के अंतर्गत देख रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने इस स्टेशन का नाम मुंबई मनपा तथा राज्य विधानसभा के चुनाव को ध्यान में रखकर रखा है। अगर ऐसा नहीं होता तो राज्य सरकार इस मंदिर का नाम बदलने में इतनी तत्परता क्यों दिखाती। मुंबई तथा उसके आसपास के अधिकांश उपनगरीय रेलवे स्टेशन के नाम किसी न किसी धार्मिक संगठन से जुड़े हैं। मुंबई रेलवे स्टेशन का नाम वर्तमान में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस है, इससे पहले इसका नाम छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, विक्टोरिया टर्मिनस था, इससे पहले काफी समय तक इसे बोरीबंदर के नाम से पहचाना जाता था।
इतना ही नहीं, महालक्ष्मी, मुंब्रा, अंबरनाथ जैसे स्टेशनों के नाम भी धार्मिक आधार पर ही रखे गए हैं। वैसे अगर हम मुंबई तथा उसके आसपास के उपनगरीय रेलवे स्टेशनों के नाम परिवर्तन की बात करें तो पता चलेगा कि अधिकांश क्षेत्र, आज जिस नाम से जाने जाते हैं उनका नाम पहले कुछ और था। मसलन कोलाबा क्षेत्र को कोला भात, गोरेगांव को पहाड़ी, नालासोपारा को नीला, भांडुप को भांडोप, अंधेरी को अंदारी, ठाणे को तान्ना, बोरिवली को बोरिव्ली, दहीसर को दाईसर, वसई रोड को बसीन, विरार को विरौर कहा जाता था।
इसी तरह अन्य रेलवे स्टेशन भी हैं जिनका नाम अब बदल चुका है, चर्चगेट रेलवे स्टेशन को ब्रिटिश काल में किलाबंद क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। कुछ स्टेशनों के नाम वहां की खास विशेषता के आधार पर रखा गया। जैसे भाया नामक इलाके के कारण उस क्षेत्र का नाम भायखला, इमली के पेड़ों की बहुलता के कारण एक स्टेशन का नाम चिंचपोकली रखा गया। बंदरगाह की बहुलता के कारण एक स्टेशन का नाम डाकयार्ड तथा काटन एक्सचेंज के कारण एक स्टेशन का कार्टन ग्रीन पड़ा। चूने की 12 बड़ी बड़ी भट्टियों इस क्षेत्र का नाम चुना भट्टी पड़ा। कहने का आशय यह है कि समय समय पर मुंबई तथा उससे संबंद्ध रेलवे स्टेशन के नाम बदलते हैं, जबकि कुछ स्टेशन ऐसे हैं कि जो नाम परिवर्तन की राह देख रहे हैं। जैसे मरीन लाइन्स को सोनापुर, ग्रांट रोड को अगस्त क्रांति, सैंडहस्र्ट रोड को महावीर नगर, दादर को चैत्यभूमि, किंग्ज सर्कल को वर्धमान सर्कल या महावीर सर्कल, बांद्रा टर्मिनस को सूफी संत को मखदूम माहिमी तथा कोपरखैरणे को धीरूभाई अंबानी नाम देने की मांग की जा रही है। पहले 27 नवंबर तथा उसके बाद 18 दिसंबर इन दोनों तिथियों पर पहले से तय होने के बावजूद राम मंदिर स्टेशन का उद्घाटन क्यों नहीं हो पाया, इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं। बताया जा रहा है कि स्टेशन का नाम ओशिवरा के स्थान पर राम मंदिर रखे जाने पर कुछ लोगों को आपत्ति है। मुंबई समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी का कहना है कि स्टेशन का नाम जानबूझकर राम मंदिर किया गया है, जब पहले से ही स्टेशन का नाम तय था तो अचानक उसका नाम क्यों बदला गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्टेशन का नाम कुछ भी हो, उन्हें कुठ फर्क नहीं पड़ता, स्टेशन का शुभारंभ जल्दी होना चाहिए। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि चूंकि इस रेलवे स्टेशन का भूमिपूजन उत्तर प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल राम नाईक के रेल मंत्री रहते समय किया गया, इसलिए इस स्टेशन का नाम कुछ लोग राम मंदिर रखना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि स्टेशन के नाम पर अभी अंतिम सहमति नहीं हो पाई है, इसलिए स्टेशन उद्घाटन टाल दिया गया। काफी समय से उद्घाटन की राह देखने वाले राम मंदिर स्टेशन शुरु न होने का मलाल स्थानीय लोगों को है। यहां यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर 13 काउंटर बनाए गए हैं तथा स्टेशन के संचालन का दायित्व 14 व्यक्तियों को सौंपा गया है। उम्मीद की जा रही है कि अगले वर्ष यानि 2017 के पहले माह जनवरी में संभवत: गणतंत्र दिवस पर राम मंदिर रेलवे स्टेशन का शुभारंभ हो जाएगा और लोकल के यात्रियों को यह सुनने को मिलेगा कि अगला स्टेशन राम मंदिर। इस नए उपनगरीय रेलवे स्टेशन पर उतरने वाले यात्रियों को स्लो ट्रैक पर यात्रा करनी होगी। इस स्टेशन से हर्बर लाइन रेल सेवा की भी व्यवस्था की गई है, यहां बने चार प्लेटफार्म से 2 प्लेटफार्म से हर्बर रेल सेवा परिचालित होगी।
उल्लेखनीय है कि राम मंदिर स्टेशन का भूमिपूजन उत्तर प्रदेश के वर्तमान राज्यपाल तथा पूर्व रेलमंत्री राम नाईक ने किया गया था, इसलिए केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु चाहते हैं किन राम मंदिर स्टेशन के उद्घाटन समारोह में राम नाईक उपस्थित रहें। राम नाईक के निकटस्थ सूत्रों का कहना है कि राम नाईक को 18 दिसंबर को कार्यक्रम के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई थी, इसलिए रेल मंत्री ने 18 दिसंबर के शुभारंभ कार्यक्रमों की सूची से राम मंदिर स्टेशन को अलग कर दिया। कहा जा रहा है कि अब राम मंदिर स्टेशन का उद्घाटन तभी होगा, जब राम नाईक इस समारोह का हिस्सा बनेंगे। राम नाईक के कार्यकाल में इस स्टेशन की आधारशिला रखी गई थी, इसलिए रेल कर्मी भी यही चाहते हैं कि राम नाईक राम मंदिर के शुभारंभ समारोह का हिस्सा बनें।