रायन स्कूल प्रबंधन अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी को सही ढंग से निभाता तो हादसे (प्रद्युम्न ठाकुर की मौत) को रोका जा सकता था। स्कूल में सुरक्षा और बचाव के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। इसमें कई खामियां थीं। इन बातों का खुलासा सीबीएसई की दो सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट में हुआ है।
जांच रिपोर्ट के आधार पर सीबीएसई बोर्ड ने रायन स्कूल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उसकी मान्यता रद्द कर दी जाए। स्कूल प्रबंधन को 15 दिन में नोटिस का जवाब देना है।
सूत्रों के मुताबिक, जांच टीम ने 13 सितंबर को स्कूल में जाकर छानबीन की और शुक्रवार शाम को सीबीएसई को रिपोर्ट सौंपी। जांच टीम ने माना है कि स्कूल ने सीबीएसई गाइडलाइन्स के मुताबिक व्यवस्था नहीं की थी।
प्रद्युम्न की शौचालय में हत्या की गई। स्कूल के मेन गेट से शौचालय की दूरी 50 मीटर है, उसके बाद क्लासरूम। जांच में पता चला है कि किसी ने प्रद्युम्न को जबरन शौचालय में खींचा और फिर हत्या कर दी। शौचालय की खिड़कियों में ग्रिल तक नहीं है। ऐसे में कोई भी खिड़कियों से बाहर जा सकता है।
अपनी रिपोर्ट में कमेटी ने ये तो पाया ही है कि जो टॉयलेट बच्चे इस्तेमाल करते थे वही बस स्टाफ भी करते थे। इसके साथ ही स्कूल की बाउंड्री वॉल भी टूटी पाई गई है जिसे पार कर कोई भी स्कूल के अंदर घुस सकता है।
ये भी पढ़े: आईएस ने लंदन ट्रेन हमले की जिम्मेदारी ली, अब ब्रिटेन में हो सकते हैं आतंकवादी
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि स्कूल में सीसीटीवी कैमरों की संख्या कम होने के साथ ही जो लगे हैं वो काम नहीं करते। स्कूल की घोर लापरवाही की तरफ इशारा करती ये रिपोर्ट बताती है कि स्कूल प्रशासन ने अनुपयोगी जगह जैसे खाली क्लासरूम और टैरेस को बिना लॉक किए छोड़ रखा है।