व्यापार

राष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट यूनियनों की मांग, जीएसटी के दायरे में हो पेट्रोल-डीजल

इस बार भी लोगों को आम बजट से खासी उम्मीदें हैं। लोग चाहते हैं कि इस बजट में पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाई जाए, राज्य और केंद्र सरकार द्वारा परिवहन क्षेत्र में करों में छूट दी जाए। इससे ही वास्तव में अच्छे दिन आएंगे, नहीं तो महंगाई आम लोगों की कमर तोड़ती ही रहेगी।राष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट यूनियनों की मांग, जीएसटी के दायरे में हो पेट्रोल-डीजल

जीएसटी के दायरे में हो ईंधन 
राष्ट्रीय परिवहन यूनियनों के अनुसार, एशियाई देशों की तुलना में भारत में ईंधन के दाम सर्वाधिक हैं। इसी वजह से माल ढुलाई की लागत इतनी बढ़ जाती है कि यह आम लोगों की जेब पर भारी असर डालती है। एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार द्वारा लगाए टैक्स में छूट दी जाए। इतना ही नहीं ट्रांसपोर्ट यूनियनों की मांग है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इससे सरकार और वाहनचालकों दोनों को फायदा होगा। 

टोल वसूली के लिए नए तरीके 
मोटर यूनियनों ने बताया कि सरकार को टोल वसूली के नए तरीके पर गौर करना चाहिए। पूरे देश में जिस तरीके से टोल लिया जा रहा है उससे सालाना 1 लाख 40000 हजार करोड़ रुपये का ईंधन टोल नाको पर खत्म हो जाता है। इससे वाहन चालकों का नुकसान होता है। यदि साल भर का टोल एक साथ वसूल लिया जाए तो सड़कों पर न तो ट्रैफिक की समस्या होगी और न ही ईंधन का नुकसान होगा। 

सड़क पर इंफ्रा में बढ़ोतरी की जाए 
यूनियनों ने बजट से सड़कों पर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए जाने की उम्मीद भी लगाई है। यूनियन सदस्यों का कहना है सड़क निर्माण और सुविधाओं के लिए वाहन चालकों से भारी मात्रा में कर वसूला जाता है। लेकिन वाहन चालकों को महामार्गों पर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पातीं। केंद्र सरकार को सड़क के किनारे बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए कदम उठाने चाहिए। पेट्रोल पंपों और डीजल स्टेशनों की संख्या में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए। 

ईंधन को जीएसटी में लाने की मांग 
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कॉग्रेस (एआईएमटीसी) कोर कमिटी के चेयरमैन बालमलकीत सिंह ने कहा, ‘बजट से हलोगमें तीन ही उम्मीदें हैं पहली ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाया जाए, दूसरी सड़क पर बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जाए और तीसरी राज्य और केंद्र सरकार द्वारा परिवहन क्षेत्र में लगाए जा रहे करों में कटौती की जाए।’ 

Related Articles

Back to top button