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राहुल ने कार्यकर्ताओं को दी आडवाणी की मिसाल
NEW DELHI: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते हुई बैठक में अपनी पार्टी के ऑनलाइन कैंपेनर्स और कार्यकर्ताओं को एक सलाह दी।
उन्होंने कहा, ‘गाली-गलौज या अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाए क्योंकि यह कांग्रेस पार्टी की परंपराओं के अनुकूल नहीं है।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को यह भी याद रखने को कहा कि कट्टर दक्षिणपंथी लोग भी उम्रदराज होने पर नरम तरीके से सोचने लगते हैं।
‘जवानों की दलाली’ वाले राहुल के विवादास्पद बयान पर सोशल मीडिया पर एक हफ्ते तक चली लड़ाई के बाद कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पार्टी की ऑनलाइन गतिविधियों से जुड़े अहम लोगों के साथ गुप्त बैठक की। इसमें उन्होंने सोशल मीडिया से जुड़े हर राज्य के प्रमुखों के साथ बात की। माना जा रहा है कि इस बैठक में उन्होंने खुलकर अपनी राय रखी।
बैठक में शामिल पार्टी के एक मेंबर ने ईटी को बताया, ‘उन्होंने हमसे कहा कि बड़े से बड़े दक्षिणपंथी भी बाद में उदार हो जाते हैं। उन्होंने आडवाणी जैसे कुछ सीनियर नेताओं की मिसाल दी, जो अपने राजनीतिक करियर के आखिरी पड़ाव में नरम पड़ गए।
लिहाजा, उनका कहना था कि हमें दक्षिणपंथियों को कांग्रेसी के रूप में बदलने पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कट्टरपंथी विचारधारा वाले लोगों को जवाब देने में हमें उनके स्तर पर गिरकर बात नहीं करनी चाहिए।’ बैठक में मौजूद कार्यकर्ताओं ने गांधी को यह भी बताया कि कभी-कभी किसी मसले पर उनके लिए बचाव करना कितना मुश्किल होता है।
बैठक में शामिल लोगों के मुताबिक, राहुल गांधी का कहना था कि असली चुनौती कट्टर राय रखने वाले लोगों को नरमपंथी बनाने की है। एक कार्यकर्ता ने बताया, ‘बैठक में फोकस आरएसएस-बीजेपी के ऑनलाइन कैंपेन का जवाब देने के नए तौर-तरीके ढूंढने पर था। राहुलजी ने कहा कि हम यह साफ तौर पर समझ चुके हैं कि सोशल मीडिया एक चुनाव जीतने में मदद कर सकता है, न कि हर चुनाव में वह मददगार साबित हो सकता है।’
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में शामिल एक कार्यकर्ता ने पूछा कि उन्हें ‘पप्पू’ उपनाम क्यों दिया गया, इस पर राहुल का कहना था कि भट्टा-परसौल घटना के दौरान जब उन्होंने बड़े कॉरपोरेट्स के खिलाफ लड़ाई छेड़ी, तो उन्हें यह नाम दिया गया। इससे पहले वह मीडिया के चहेते थे। राहुल का यह भी कहना था कि वह जल्द पार्टी का अध्यक्ष पद संभालेंगे।