मुंंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने ‘कम नौकरशाही’ के महत्व पर खास जोर देते हुए 81 वर्ष पुराने बैंक में काम की संस्कृति को बदलने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने अधिक समन्वय, लीक से हटकर सोचने और काम के बेहतर तरीके से पालन किए जाने की जरूरत पर बल दिया है।
कई बार हमारे नियम पूरी तरह स्पष्ट नहीं होते
रिजर्व के 17 हजार लोगों के स्टाफ के लिए जारी मेमो में राजन ने लिखा, ‘आलोचकों के मन में हमारे बारे में एक गतिशील, बुद्धिमतापूर्ण संगठन के बजाय एक परंपरागत ख्याल रखने वाले संगठन के बारे में विचार आता है।’ उन्होंने लिखा कि हमारे नियम हर बार बेहद स्पष्ट नहीं होते। कुछेक बार हमारे स्टाफ को ही अपने ही नियमों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी नहीं होती और न ही वे ग्राहकों की मदद को तत्पर होते हैं। अकसर हमारी प्रतिक्रिया असाधारण तरीके से धीमी और नौकरशाही से भरपूर होती है।’
नियमों को लागू करने में हम तत्पर नहीं दिखते
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने इस बात को लेकर भी चिंता जताई कि देश का केंद्रीय बैंक नियमों को लागू करने को लेकर तत्पर नहीं दिखाई देता। उन्होंने कहा कि जब तक संबंधित पक्ष छोटा और कमजोर नहीं होता, भारत में हम गलत काम करने वाले को सजा नहीं दे पाते। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक देश में करंसी, ऋण बाजार के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को नियंत्रित करता है।
प्रदर्शन के स्तर को सुधारने पर दिया जोर
मेमो में कर्मचारियों को अपने प्रदर्शन के स्तर (परफॉरमेंस स्टेंडर्ड) को बेहतर बनाने की चुनौती के रूप में लेने की बात कही गई है। इसके साथ ही कर्मचारियों के आपसी समन्वय में सुधार पर भी जोर दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री रहे राजन ने इस बात को भी रेखांकित किया कि कुछ स्टाफ रिजर्व बैंक से इतर क्षेत्रों को लेकर पर्याप्त उत्सुकता नहीं दिखाता। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को बाहरी स्रोतो और व्यापक दुनिया के बारे में काफी कुछ सीखने की आवश्यकता है।