रेलवे में ‘रनिंग भत्ता’, को सरकार ने किया दोगुना
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भारतीय रेलवे ने गार्ड, लोको पायलट और सहायक लोको पायलट को मिल रहे रनिंग भत्ते को दोगुना करने का फैसला किया है. रेलवे ने कर्मचारी संगठनों की बेहद पुरानी मांग को स्वीकार करते हुए यह फैसला लिया है. रेलवे की ओर से भत्ता दोगुना किए जाने के बाद अब रेलवे के सलानाखर्च में भी बढ़ोतरी होने वाली है. आइए जानते हैं आखिर क्या है ये रनिंग भत्ता, जो अब हो गया दोगुना…
इससे रेलवे को सलाना भत्ते पर करीब 1,225 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा और परिचालन अनुपात 2.50 प्रतिशत बढ़ जाएगा. इससे पहले नवंबर, 2018 में भारतीय रेल का परिचालन अनुपात सर्वाधिक 117.05 प्रतिशत पर पहुंच गया. इसका मतलब ये है कि भारतीय रेलवे को प्रति सौरुपये कमाने के लिए 117.05 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. परिचालन अनुपात को रेलवे की आर्थिक स्थिति का संकेतक माना जा सकता है.
क्या होता है रनिंग भत्ता?
रेल परिचालन में मदद करने वाले लोको पायलट, सहायक लोको पायलट और गार्ड को रेलवे का ‘रनिंग स्टॉफ’ कहा जाता है. इस स्टाफ को एक अलग भत्ता दिया जाता है, जिसे रनिंग भत्ता कहा जाता है. यह स्टाफ ट्रेन को यात्रा पूरी करने में अहम भूमिका निभाता है. वैसे रनिंग स्टाफ,यात्रा भत्ता पाने का हकदार नहीं होता है. साथ ही इस भत्ते की गणना भी किलोमीटर, ट्रेन की दूरी के आधार पर की जाती है.
दरअसल, इन कर्मचारियों को अभी तक इन्हें प्रति सौ किलोमीटर चलने पर करीब 255 रुपये की दर से ‘रनिंग भत्ता’ दिया जाता है. इसे अब बढ़ाकर करीब 520 रुपये कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि इस बढ़ोतरी से भत्तों का खर्च अभी के करीब 1,150 करोड़ रुपये से बढ़कर करीब2,375 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा.
समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, रनिंग कर्मचारी पिछले चार साल से भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे थे. इससे पहले अन्य कर्मचारियों का भत्ता एक जुलाई 2017 को ही बढ़ा दिया गया था, लेकिन रनिंग कर्मचारियों की मांग लंबित थी. यह रेलवे द्वारा अपने कर्मचारियोंको दिया गया नववर्ष का तोहफा है.