नई दिल्ली: महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों को रोकने की दिशा में केंद्र सरकार एक और कदम उठाने जा रही है| गृह मंत्रालय गुरुवार को यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस लॉन्च करेगा| भारत ऐसा करने वाला दुनिया का 9वां देश बन जाएगा| इस रजिस्ट्री में दोषी पाए गए सेक्सुअल ऑफेन्डर्स का नाम, तस्वीर, रेजिडेंशियल एड्रेस, फिंगरप्रिंट, डीएनए सैंपल्स, पैन नंबर और आधार नंबर की डीटेल रखी जाएगी| रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डेटाबेस में करीब 4.5 लाख से ज्यादा मामले शामिल किए जाएंगे जिसमें पहली बार के ऑफेन्डर्स और रिपीट ऑफन्डर्स की प्रोफाइल होगी| इस डेटाबेस को देश भर की जेलों के रिकॉर्ड से तैयार किया जाएगा| डेटाबेस में यौन अपराधियों का उनके आपराधिक रिकॉर्ड के आधार पर वर्गीकरण भी किया जाएगा| सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, इस डेटाबेस को बनाने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की होगी| यह जानकारी कानून लागू करने वाली एजेंसियों को कई तरह की जांचों और एंप्लायी वेरीफिकेशन के लिए उपलब्ध कराई जाएगी| हालांकि भारत में रजिस्ट्री केवल कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ही उपलब्ध करायी जाएगी| बता दें कि यूएस में यह डेटाबेस FBI मेनटेन करती है और यह डेटाबेस जनता की पहुंच में होता है| वहीं, यूके, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनिनाद और टोबैगो में भी ये डेटाबेस केवल कानून लागू करने वाली संस्थाओं को ही उपलब्ध कराया जाता है.रजिस्ट्री में सबसे कम खतरनाक अपराधियों (लो डेंजर) का डेटा 15 साल तक के लिए, कम खतरनाक अपराधियों (मॉडरेट डेंजर) का डेटा 25 साल और गंभीर अपराध (हिंसक अपराध, गैंगरेप, कस्टोडियल रेप) करने वालों का डेटा जीवन भर के लिए रखा जाएगा| इसके अलावा रजिस्ट्री में अरेस्ट हुए और चार्जशीट में आरोपी रह चुके लोगों की भी जानकारी रखी जाएगी हालांकि यह डेटा कुछ ऑफिसरों को उपलब्ध होगा| सूत्रों के मुताबिक, इस रजिस्टर में जुवेनाइल ऑफेन्डर्स को बाद में शामिल किया जाएगा,अतीत में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां पर दोषी करार दिए जा चुके यौन अपराधियों ने एक से ज्यादा बार अपराधों को अंजाम दिया| ऐसे अपराधों को होने से इसलिए भी नहीं रोका जा पाता था क्योंकि यौन अपराधियों का केंद्र के स्तर पर कोई रिकॉर्ड ही नहीं होता था| कुछ लोग जहां निजता का हवाला देते हुए इसे लागू करने के खिलाफ हैं वहीं, कई लोगों को उम्मीद है कि इस रजिस्ट्री से ना केवल यौन अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी बल्कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों को अपराधियों पर नकेल कसने में भी आसानी होगी. NCRB डेटा के मुताबिक, 2016 में 38,947 रेप के मामले दर्ज किए गए जबकि 2015 में यह संख्या 34,651 थी|