उत्तर प्रदेश

लाखों स्टूडेंट्स को नहीं मिलेगी स्कॉलरशिप, ‌जानिए क्यों…

(प्रहरीपोस्ट/एजेन्सी) campus-564b101ae3b55_exlstअधिकारियों की लापरवाही के चलते सूबे में लाखों विद्यार्थी छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना का लाभ पाने से वंचित रह जाएंगे। समाज कल्याण विभाग ने इन विद्यार्थियों के आवेदनों में खामियां पाए जाने पर उन्हें संदिग्ध श्रेणी में रखा है, जिस पर अंतिम निर्णय 31 जनवरी तक जिलास्तरीय अधिकारियों को लेना था।

लेकिन, अंतिम तिथि तक अधिकतर मामलों में जिलास्तरीय अधिकारियों ने कोई विचार ही नहीं किया। छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत 24 अक्तूबर तक 39.41 लाख विद्यार्थियों के आवेदन पत्र जिलास्तरीय अधिकारियों ने आगे बढ़ाए थे।

इनमें से 26.16 लाख विद्यार्थियों के आवेदन में कोई न कोई खामी पाए जाने पर उन्हें संदिग्ध श्रेणी में रख दिया गया। किसी के प्रमाणपत्रों में खामी मिली तो किसी का बैंक खाता संख्या उसके नाम से नहीं मिला।

शासन ने इन विद्यार्थियों का डाटा जिलास्तरीय अधिकारियों को भेजते हुए उस पर अंतिम निर्णय लेने के लिए 31 जनवरी तक का समय दिया था। इसमें जिलास्तरीय अधिकारियों को यह देखना था कि खामी दुरुस्त करने लायक है या नहीं।

रिकॉर्ड के मुताबिक, एक फरवरी की शाम तक 10.40 लाख विद्यार्थियों के डाटा पर ही जिलास्तरीय अधिकारियों ने विचार किया। यानी, संदिग्ध श्रेणी में रखे गए 15.76 लाख विद्यार्थियों के मामले में कोई निर्णय ही नहीं लिया गया।

समाज कल्याण विभाग से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि जिन संस्थानों ने जिलास्तरीय अधिकारियों से संपर्क कर लिया, उनका डाटा पर तो निर्णय ले लिया गया। बाकी संस्थानों का डाटा पेंडिंग रखा गया है।

कुछ संस्थानों के प्रबंधन का कहना है कि डाटा क्लियर करने के एवज में जिलास्तरीय अधिकारियों के कार्यालय वाले कुछ न कुछ ‘चढ़ावा’ मांग रहे हैं। अब चूंकि ज्यादातर संस्थान छात्रों से फीस पहले ही वसूल चुके हैं, इसलिए उन्हें छात्रों को शुल्क की वापसी और छात्रवृत्ति के मिलने या न मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ता। इसलिए वे इसमें कोई रुचि नहीं ले रहे हैं।

डाटा पेंडिंग रहने की मुख्य वजह यही है। वहीं, प्रमुख सचिव समाज कल्याण सुनील कुमार कहना है कि संदिग्ध श्रेणी के आवेदन पत्रों पर निर्णय लेने के लिए सभी जिलास्तरीय अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं।

जहां भी यह निर्णय लेने में लापरवाही या कोई अन्य वजह पाई जाएगी, वहां के संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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