वायु प्रदूषण से फेफड़ों पर ही नहीं, आंखों पर भी पड़ रहा असर
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अगर आप सोचते हैं कि वायु प्रदूषण से केवल फेफड़े या श्वसन तंत्र प्रभावित होते हैं, तो दोबारा विचार करें. क्योंकि मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि खराब वायु गुणवत्ता से आंखों में कई समस्याएं भी हो सकती हैं, जिसमें कॉर्निया को होनेवाली क्षति भी शामिल है.
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूय ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के ऑप्थामोलोजिस्ट डॉ. राजेश सिन्हा ने बताया, “नाक और मुंह की तरह आंखों को ढकना काफी मुश्किल है. इससे फेफड़ों की तरह ही आंखों पर भी वायू प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है.” उन्होंने बताया कि आंख की ओकुलर सतह वातावरण के सीधे संपर्क आती है, इसलिए यह वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होती है.
सर गंगा राम हॉस्पिटल, दिल्ली के ऑप्थामोलोजिस्ट डॉ. टिंकू बाली राजदान ने बताया, “कई सालों तक प्रदूषण के संपर्क में रहने के कारण कोरोना को क्षति पहुंचती है, यह तुरंत नहीं होता है. अगर ड्राइ आई की समस्या लंबे समय तक रहती है, तो यह भी कोरोना को क्षतिग्रस्त कर सकती है, जिससे लंबे समय में दृष्टि प्रभावित होती है. खुजली होने पर आंखों को रगड़ने से भी कोरोना पर असर पड़ता है.”
डॉ. राजदान ने कहा, “वायु प्रदूषण के संपर्क से ड्राइ आई की समस्या या आंखों के पानी की गुणवत्ता खराब हो जाती है. इससे आंखों में खुजली, परेशानी और लाल होने की समस्याएं होने लगती है.” सिन्हा का कहना है, “जो लोग कांटैक्ट लेंस पहनते हैं, उन्हें जोखिम और बढ़ जाता है, क्योंकि उनकी आंखें पहले से ही ड्राई होती है.” ऑप्थामोलोजिस्ट्स का कहना है कि प्रदूषण बढ़ने से ओपीडी में एलर्जी के इलाज के लिए आनेवाले मरीजों की संख्या बढ़ी है.
मैक्स हेल्थकेयर के आंख विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉ. संजय धवन का कहना है, “आंखों में खुजली, परेशानी और नजर कमजोर होने की समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी है तथा इम्युनिटी कम होने के कारण ड्राई आई और अन्य संक्रमण बढ़े हैं.”