वृद्धावस्था नीति की समीक्षा करे सरकार : सर्वोच्च न्यायालय
नई दिल्ली (एजेंसी)। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सरकार से कहा कि वह बुजुर्गों से जुड़ी राष्ट्रीय नीति (एनपीओपी) पर नए सिरे से विचार करे क्योंकि 1999 में इस नीति के बनने के बाद से बहुत कुछ बदल चुका है।
न्यायाधीश मदन बी लोकुर और न्यायाधीश उदय उमेश ललित की सामाजिक न्याय पीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता पिंकी आनंद से कहा, ‘‘ओल्ड एज होम पर राष्ट्रीय नीति 15 साल पुरानी है। आपको इसे अपडेट करने की जरूरत है। इतने अर्से में बहुत कुछ घट चुका है।’’ अदालत ने यह भी कहा कि मेनटेनेंस एंड वेलफेयर आफ पेरेंट्स एंड सीनियर सीटिजन एक्ट 2००7 के बनने के बाद अब एनपीओपी बेकार हो चुकी है। सरकार की तरफ से कहा गया कि वह बुजुर्गों के मामले में अपनी जिम्मेदारियों से बचना नहीं चाहती। इस पर अदालत ने कहा, ‘‘यह जवाब इस बारे में बहुत कुछ नहीं बताता कि सरकार ने ओल्ड एज होम बनाने के बारे में क्या किया है।’’ इस बारे में वकील संजीब पाणिग्रही ने जनहित याचिका दायर की है। सरकार ने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह इनकार करती है कि सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय ने बुजुर्गों की बेहतरी के मामले में कोई कदम नहीं उठाया है। याचिका में हर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस कम से कम एक ओल्ड एज होम बनाने की गुजारिश की गई है।