तीन किमी पैदल चलकर ग्रामीण सड़क तक पहुंचते हैं। बृहस्पतिवार को 99 पर्वतीय ब्रिगेड के कर्नल एसएस जमवाल जब शहीद के माता-पिता से मिले तो वृद्ध पिता की आंखों से आंसू छलक पड़े। कर्नल सेमवाल ने गांव में सुविधाओं के लिए अपनी ओर से प्रयास करने का आश्वासन दिया।
बता दें कि मेजर महेश चंद्र सती बांबे इंजीनियरिंग कोर में थे। 1996 में इंफाल में तैनात थे, वहां बोर्डो उग्रवादियों की सर्च के दौरान उन्हें गोली लगी और उनका निचला हिस्सा पूरी तरह से नाकाम हो गया।
तत्कालीन राष्ट्रपति स्व. डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा, बाद के वर्षों में उनकी मृत्यु हो गई। स्व. मेजर चौबटिया के निकटवर्ती सिवाली ग्राम सभा के सिटजर तोक के रहने वाले थे।
शहादत के बाद उनकी पत्नी बच्चों सहित दिल्ली में जाकर बस गई। शहीद के दो भाई भी बाहर सेटल हैं, घर पर हैं 87 वर्षीय पिता दया किशन सती और माता देवकी सती। मकान भी जीर्णशीर्ण हालत में है। गांव में न तो सड़क की सुविधा और न ही पानी-बिजली की।
दोनों बुजुर्गों की देखभाल शहीद सती के चाचा दुर्गादत्त सती और ताऊ हरकिशन सती करते हैं। बृहस्पतिवार को 99 पर्वतीय ब्रिगेड के कर्नल एसएस जमवाल शहीद सती के गांव पहुंचे और उनके माता-पिता का हाल जाना। शहीद के पिता ने बताया कि महेश की शहादत के बाद आज तक न तो गांव में कोई अधिकारी आया और न ही कोई सुविधा मिली।
कभी बड़ा बेटा कुछ मदद कर देता है तो कभी छोटा बेटा। बहू तो आज तक गांव में नहीं आई। उन्हें कोई आर्थिक सहायता तक नहीं मिलती है। कर्नल जमवाल ने उन्हें बताया कि केंद्र सरकार का शासनादेश है कि शौर्य चक्र अथवा शहीद की पत्नी यदि सास, ससुर को नहीं पूछती तो शहीद की 35 फीसदी पेंशन मां बाप को मिलती है।
उन्होंने कहा कि गांव में वह शीघ्र ही सोलर लाइट लगवा देंगे, बिजली-पानी और सड़क के लिए संबंधित विभागों पर दबाव बनाया जाएगा। कर्नल के साथ पूर्व प्रधान डॉ. एचसी सती, नवीन चंद्र सती और महेश चंद्र सती भी थे।
पार्क के अलावा कुछ नहीं मिला
शहीद मेजर महेश चंद्र सती के गांव में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। सिर्फ चौबटिया में उनके नाम पर एक पार्क बनाया गया है। कर्नल एसएस जमवाल के गांव पहुंचने पर शहीद के पिता ने उनका आभार जताया। उन्होंने कहा कि पुत्र की शहादत के बाद कोई अधिकारी पहली बार उनके गांव उनका हाल पूछने आया है।
शहीदों के परिजनों से न हो छलावा
सिंवाली के पूर्व प्रधान डॉ. एचसी सती ने कहा कि सरकारें तमाम सुविधाएं देने का वायदा करती हैं, लेकिन शहीदों को किसी भी तरह की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। शहीद मेजर महेश चंद्र सती का उदाहरण उनके समक्ष है। देश की रक्षा करने वालों के साथ तो कम से कम सरकारों को छलावा नहीं करना चाहिए।