शाहजहांपुर में चौथी बार चला तनवीर का जादू
भाजपा के गढ़ में खूब दौड़ी साइकिल, अतिआत्मविश्वास ले डूबी भाजपा को
-मनोज कुमार
शाहजहांपुर : नगर पालिका सीट पर चौथी बार सपा का झंडा बुलंद हुआ है। इसे सपा की कम और तनवीर खां की जीत अधिक कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। तीन बार तनवीर खां खुद पालिका अध्यक्ष रहे। चौथी बार सीट आरक्षित हुई तो तनवीर ने अपनी मां जहांआरा बेगम को चुनाव में उतारा और वो जीत भी गईं केंद्र और राज्य में सरकार होने के कारण सबसे ताकतवार भाजपा ही है। सपा के जिलाध्यक्ष तनवीर खां खुद 15 साल से चेयरमैन की कुर्सी संभाले हुए हैं। वह दो बार विधानसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन उन्हें सुरेश खन्ना से हार का सामना करना पड़ा। इस बार चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ी बात थी। नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना व कृषि मंत्री कृष्णाराज के गृह जनपद तथा जिले में पांच विधायक भाजपा के होने के बड यह सीट पर सपा और भाजपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। इसलिए सपा जिलाध्यक्ष तनवीर खां ने अपनी मां को चेयरमैन बनाने के लिए अपने अंदाज को परिवर्तन कर पासा ही पलट दिया। अपने परम्परागत वोटों पर मेहनत करने के साथ-साथ तनवीर ने भाजपा के गढ़ में सेंधमारी कर जीत की मंजिल तय की। यही वजह रही कि विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा की जीत होती थी वहां पर जमकर साइकिल चली। तनवीर खान ने चुनाव को राजा बनाम रंक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी नीलिमा प्रसाद का खेमा भी चुनाव को हल्के में नहीं ले रहा था। भाजपा प्रत्याशी लोगों को यही विश्वास दिलाने की कोशिश करती रहीं कि प्रसाद भवन के दरवाजे हमेशा लोगों की मदद में खुले थे और खुले रहेंगे लेकिन वह लोगों का विश्वास जीत नहीं सकी।
तनवीर खां ने सपा के परम्परागत यादव व किसान वोटो को साधने के लिए पूर्व मंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा और कटरा के पूर्व विधायक राजेश यादव व एमएलसी अमित यादव रिंकू का साथ लिया। इन दोनों नेताओं के प्रभाव वाले जातीय वोटों को तनवीर खां ने साइकिल के लिए लामबंद कर लिया।, पूर्व मंत्री कोविद कुमार सिंह को पार्टी ने प्रभारी बनाकर ठाकुरों को भी साधने की कोशिश की जो कामयाब रही और एमएलसी संजय मिश्रा ने अलग से सहयोग किया। दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी नीलिमा प्रसाद के चुनाव में संगठन के नाम पर नगर अध्यक्ष अनिल बाण अनुज गुप्ता मुकेश राठौर ही दिखे। बाकी भाजपा की गैरमौजूदगी चुनाव भर सवाल खड़े कर रही थी पूरे चुनाव में शहर में खन्ना वादी तो चेहरा चमकाते दिखे लेकिन भाजपा संगठन कही दिखाई नहीं दिया। चुनाव में जो भी टीम दिखी वह प्रत्याशी नीलिमा प्रसाद और उनके पति जयेश प्रसाद की थी। इतना ही नहीं भाजपा प्रत्याशी व उनके समर्थकों में पूरे चुनाव में जो अतिआत्मविश्वास दिखाई दिया यही अतिआत्मविश्वास नीलिमा की हार सबसे बड़ा कारण बना। हार की एक और वजह पार्टी में फूट भी मानी जा रही है। शहर से भाजपा में टिकट की चाह तमाम लोग रखे थे पर पार्टी ने नीलिमा पर दांव खेला। इससे बाकी लोग नाराज हो गए। माना जा रहा है की टिकट को लेकर कबीना मंत्री व संगठन में एक राय नहीं थी । ऐसे तमाम कारण है जिनके चलते आमतौर पर दो वर्गों के बीच होने वाला चुनाव में इस बार वर्गवाद को शाहजहांपुर की जनता ने नकार दिया।
शाहजहांपुर जिले में केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णाराज, नगर विकास मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के अलावा चार अन्य भाजपा विधायक तथा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भी भाजपा का वर्चस्व है, लेकिन पार्टी को इसका समुचित लाभ नहीं मिला है। निकाय चुनाव को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं की भूमिका को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं। राजनीत के विश्लेषको का मानना है कि यदि यही हालत रहे तो जिले में 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। फिलहाल लगातार चौथी बार नगर पालिका परिषद शाहजहांपुर पर कब्जा कर तनवीर ने खुद को एक चतुर व सफल रणनीतकार साबित कर दिया है।