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शाह की टीम में बढ़ेगी यूपी की भागीदारी

amit shah

लखनऊ। भाजपा के नवनियुक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की टीम को लेकर कयासों का दौर जारी है। यूपी में पार्टी का ऐतिहासिक सफलता दिलाने की बदौलत शाह को राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी मिली है ऐसे में चर्चा है कि शाह की टीम में यूपी की भागीदारी बढ़ेगी। सूत्रों के अनुसार शाह भाजपा संगठन में नए चेहरों को जगह देने के पक्षधर है ऐसे में पार्टी के सीनियर और 75 वर्ष से ज्यादा उम्र के नेताआंे की पार्टी संगठन से छुट्टी तय मानी जा रही है। पूर्व अध्यक्ष राजनाथ की टीम में यूपी का दबदबा था ऐसे में यह देखना अहम होगा कि शाह की टीम में कितने खिलाड़ी यूपी से चुने जाएंगे। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टीम में यूपी कोटे से उमा भारती व मुख्तार अब्बास नकवी को उपाध्यक्ष, वरूण गांधी व सतपाल मलिक को महासचिव, डॉ. सुधांशु त्रिवेदी व विजय सोनकर शास्त्री को राष्ट्रीय प्रवक्ता और विनय कटियार को केंद्रीय चुनाव समिति में जगह मिली थी। इसके अलावा जयपाल सिंह को राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व नरेंद्र सिंह राणा को खेल प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय सह संयोजक का उत्तरदायित्व सौंपा गया था। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और पूर्व सांसद लालजी टंडन, नरेंद्र सिंह और हुकुम सिंह ऐसे नाम हैं जो 75 प्लस फार्मूले में आते हैं। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कल्याण सिंह को संगठन के बजाए राज्यपाल बनाने का आफर मिला। कल्याण सिंह राजभवन जाने को राजी नहीं हैं। लखनऊ के पूर्व सांसद लालजी टंडन ने अपनी सहमति जता दी है। बहरहाल यह तय है कि टंडन और कल्याण को नयी टीम में स्थान नहीं मिलेगा। 75 प्लस के फार्मूले में शिक्षा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक रहे नरेंद्र सिंह को दोबारा मौका मिल पाना भी संभव नहीं दिख रहा। विधायक दल नेता रहे सांसद हुकुम सिंह भी राष्ट्रीय राजनीति में हाशिए पर ही रह जाएंगे।सूबे से केंद्रीय टीम में जगह पाने वालों की लिस्ट लंबी है। मौजूदा महामंत्री वरूण गांधी, सतपाल मलिक एवं मुख्तार अब्बास नकवी के अलावा राष्ट्रीय मंत्री विनोद पांडेय, प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी व श्रीकांत शर्मा के अलावा महिला कोटे से कुसुम राय व सावित्रीबाई फूले जैसे नाम लिए जा रहे हैं। प्रदेश से केंद्रीय टीम में रह चुके सांसद विनय कटियार की नयी टीम में सीट कंफर्म नहीं है। वहीं कई नेता व प्रकोष्ठों के अध्यक्ष भी लाइन में हैं। गौरतलब है कि राजनाथ सिंह की टीम को आलोचना और विरोध का सामना करना पड़ा था। खासकर वरूण गांधी को महासचिव बनाये जाने पर वरिष्ठ नेता विनय कटियार ने तीखी टिप्पणी की थी। सीनियर नेता कलराज मिश्र ने कलराज ने भी यूपी के वरिष्ठ नेताओं को तरजीह न दिए जाने की बात कही थी। ऐसे में प्रदेश में होने वाले उपचुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शाह को बड़ी चतुराई से नयी टीम में संतुलन साधना होगा।

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