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शाह ने साधे एक तीर से दो निशाने, राष्ट्रपति की रेस से बाहर हुए नायडू,जेटली और राजनाथ

राष्ट्रपति उम्मीदवार के चयन के लिए तीन मंत्रियों की समिति बनाकर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। सरकार की ओर से चर्चा के संकेत देकर एक ओर उन्होंने विपक्ष के दावे को कमजोर करने का प्रयास किया है। तो प्रणव मुखर्जी के उत्तराधिकारी के रूप में राष्ट्रपति बनने का सपना पाल रहे मोदी सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्रियों की इच्छाओं पर भी विराम लगा दिया है।

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शाह ने साधे एक तीर से दो निशाने, राष्ट्रपति की रेस से बाहर हुए नायडू,जेटली और राजनाथ राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में नायडू के नाम की चर्चा मीडिया में शुरू से थी। लेकिन सूत्र बताते हैं कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री अरूण जेटली के समर्थक भी अपने नेता को राष्ट्रपति पद पर विराजमान होते देखना चाहते थे। राष्ट्रपति उम्मीदवार चयन की समिति में आने के वजह से केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू के साथ वित्त मंत्री अरूण जेटली और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नाम पर चर्चा की संभावनाएं भी खत्म हो गई हैं। 
राजनैतिक दलों से चर्चा के लिए शाह ने बनाई समिति 

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के जरिए राष्ट्रपति उम्मीदवार चयन करने के लिए बनी समिति का एलान करते ​हुए पार्टी महासचिव अरूण सिंह ने कहा है कि शाह ने भारत के राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं से चर्चा हेतु एक समिति का गठन किया है। इस समिति में राजनाथ सिंह के साथ अरूण जेटली और वेंकैया नायडू को शामिल किया गया है। यह समिति विभिन्न राजनैतिक दलों के नेताओं से राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में चर्चा कर सर्वसम्मति बनाने का प्रयास करेगी। 

शाह के दांव से विपक्ष हुआ चित्त

राष्ट्रपति उम्मीदवार पर सर्वसम्मति बनाने के नाम पर समिति का गठन कर शाह ने विपक्ष को चित्त कर दिया है। शाह के इस दांव से विपक्ष के वह आरोप ढेर हो गए हैं कि सरकार उनसे मामले में चर्चा नहीं कर रही है। विपक्ष एक माह पहले से ही बैठकें कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटा था। सरकार के रवैये को ढाल बनाकर विपक्षी एकजूटता की राजनीति भी खूब चली जा रही थी।

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मगर चुनाव प्रक्रिया की शुरूआत होने के बाद शाह ने समिति बनाकर ऐसा सियासी दांव चला है कि विपक्ष तो क्या भाजपा के अपने नेता भी चित्त हो गए हैं। अब विपक्ष सरकार पर इस बात का आरोप नहीं लगा सकती है कि सर्वसम्मति बनाने के लिए सत्ताधारी दल की ओर से प्रयास नहीं हुआ है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल अगले महीने 25 तारीख को खत्म हो रहा है। उनके उत्तराधिकारी का चुनाव 17 जूलाई को होना है और परिणाम 20 जूलाई को आएंगे। विपक्ष की ओर से उम्मीदवार चयन को लेकर 14 जून को बैठक होने की संभावना है। इससे पहले ही शाह ने समिति का दांव चल कर विपक्ष की रणनीति उलझा दी है। 

उम्मीदवार चयन में दिख सकता है दलित—ब्राह्मण का समीकरण

देश के अगले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चयन के लिए उम्मीदवार चुनने में भाजपा राजनीतिक समीकरणों का पूरा ख्याल रखेगी। ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव में कोई मुश्किल पैदा न हो। सूत्र बताते हैं कि यूपी की कमान योगी आदित्य नाथ को सौंपने के बाद ब्राहण मतों के समीकरण को साधने का दबाव पार्टी पर है। जबकि दलितों को साधने की कवायद में भाजपा ही नहीं पूरा भगवा परिवार समरसता अभियान चलाए हुए है।
इसे ध्यान रखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव बेशक दो माह बाद होना है लेकिन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति के साथ ही उपराष्ट्रपति के लिए भी चेहरा घोषित कर दिया जाएगा। उम्मीदवार चयन में पार्टी दलित और ब्राहण के गठजोड को साधने की कोशिश कर सकती है।

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