शिवपाल के दामाद के लिए, पीएम मोदी ने तोड़ा नियम
राजनीति में कब कौन किसका सगा बन जाए और किसके खिलाफ, ये कहा नहीं जा सकता। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें जनता के सामने एक-दूसरे के खिलाफ जहर उगलने वाले विरोधियों में भी साठगांठ दिखी।
बता दें कि सपा मुखिया मुलायम सिंह के भाई और यूपी कैबिनेट मिनिस्टर शिवपाल यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने दामाद की सिफारिश करने के लिए एक चिट्ठी लिखी, जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने नियमों में ढिलाई देते हुए शिवपाल की मदद की।
मामला है शिवपाल के आईएएस दामाद अजय यादव के डेप्युटेशन का। यूपी के बाराबंकी के डीएम अजय यादव 2010 बैच के आईएएस अफसर हैं। उनका मूल्य काडर उत्तर प्रदेश न होकर तमिलनाडु है।
बता दें कि नियम के अनुसार डेप्युटेशन के लिए कम से कम 9 साल काडर में सेवा जरूरी है। लेकिन पिछले साल 28 अक्टूबर में केंद्र सरकार ने अजय यादव की प्रतिनियुक्ति को मंजूरी देकर उन्हें तीन साल के लिए यूपी में पोस्टिंग दी।
तीन बार रिजेक्ट हुई थी अजय की रिक्वेस्ट
अजय यादव
बता दें कि किसी भी प्रशासनिक अधिकारी की पोस्टिंग का फैसला अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट (एसीसी) करती है। जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।
नियम के मुताबिक एसीसी के पास मंजूरी के लिए पहुंचने से पहले कार्मिक मंत्रालय के पास जाती है। अब खास बात ये है कि कार्मिक मंत्रालय अजय यादव की इस दरख्वास्त को तीन बार रिजेक्ट कर चुका था उसके बाद भी अजय की प्रतिनियुक्ति हुई।
बता दें कि अजय यादव ने 2014 में अपने बच्चे की बीमारी और मां की देखरेख के लिए यूपी में पोस्टिंग की मांग की थी। कार्मिक मंत्रालय ने नियमों का हवाला देते हुए उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था क्योंकि अजय 2010 के बैच के हैं और उनकी सेवा को 9 साल पूरे नहीं हुए थे।
अजय ने दोबारा प्रस्ताव भेजा जिसे फिर ठुकरा दिया गया और इस बार उन्हें नियमों की कॉपी भी भेजी गई। इसके बाद अजय के ससुर शिवपाल यादव को प्रधानमंत्री मोदी से सिफारिश करनी पड़ी।
पीएमओ की सिफारिश के बाद भी अस्वीकृत हुआ था प्रस्ताव
इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से कार्मिक मंत्रालय को चिट्ठी लिखी गई जिसमें शिवपाल की सिफारिशी चिट्ठी का जिक्र किया गया और जल्द से जल्द मीटिंग करके इस मामले को देखने के लिए कहा गया। मजेदार बात ये है कि चिट्ठी के मिलने के बाद कार्मिक मंत्रालय की अगस्त में मीटिंग हुई। पीएमओ के सिफारिशी नोट के बाद भी प्रतिनियुक्ति की अर्जी को नियमों के खिलाफ मानते हुए अस्वीकृत कर दिया गया।
मंत्रालय ने नियमों में ढील न देने की बात कहते हुए एसीसी को प्रतिनियुक्ति न देने की सिफारिश की। इसके बावजूद एसीसी ने अक्टूबर 2015 में अजय यादव के केस को स्पेशल केस बताते हुए तीन साल के डेप्युटेशन को मंजूरी दे दी।