बालाघाट के वारासिवनी विधानसभा सीट में उस समय हंगामा मच गया मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने एक निर्दलीय उम्मीदवार को जबरन बीजेपी में शामिल करा दिया। यहां अपने साले संजय सिंह को हार से बचाने के लिए शिवराज सिंह चौहान को ये कदम उठाना पड़ा।
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के वारासिवनी विधानसभा सीट में एक निर्दलीय उम्मीदवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जोर जबरदस्ती बीजेपी में शामिल करा दिया। जिस उम्मीदवार को जोर जबरदस्ती बीजेपी में प्रवेश दिलाया गया उनके समर्थकों की दलील है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पहले उसे अपने साले और कांग्रेस उम्मीदवार संजय सिंह का समर्थन करने के लिए दबाव बनाया। जब वो नहीं माने तो उसे खुद शिवराज सिंह चौहान पुलिसकर्मियों के साथ इस उम्मीदवार के कार्यालय में आ धमके और उसका हाथ पकड़कर अपने गाड़ी में बिठा लिया। वारासिवनी के विधानसभा सीट में उस समय कोहराम मच गया जब राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान निर्दलीय उम्मीदवार गौरव सिंह पारधी के दफ्तर पहुंच गए। उन्होंने सीधे कमरे में जाकर इस उम्मीदार का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ खींचते हुए बाहर ले आए और अपनी गाड़ी में बिठा दिया। इस दौरान शिवराज सिंह के साथ मौजूद सुरक्षा गार्डों ने भी उनका साथ दिया। पारधी को उस स्थान पर ले जाया गया जहां बीजेपी की सभा चल रही थी।
सभास्थल में जोर जबरदस्ती लाए गए इस उम्मीदवार को लेकर हंगामा मच गया. बेग ने अस्पताल में पत्रकारों को बताया कि उन पर चुनावी मैदान से हटने के लिए भारी दबाव था। इस घटना के बाद इस निर्दलीय प्रत्याशी के करीबी समर्थक और प्रत्यक्षदर्शी अनीस बेग नामक शख्स को हार्ट अटैक आ गया। उधर सभा स्थल पर ले जाते ही शिवराज सिंह चौहान ने इस उम्मीदवार के बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा कर दी, जितनी देर तक शिवराज सिंह चौहान इस सभास्थल पर रहे, उतनी देर तक वहां हंगामा होता रहा। समय समाप्त होते ही शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओंने इस निर्दलीय उम्मीदवार को अपने कब्जे में ले लिया।
डॉ. नीरज अरोरा और कैलाश दुलानी ने बताया की उनके उम्मीदवार को पहले लालच दिया गया था। जब वो नहीं माने तो उन्हें डराया धमकाया भी गया था। इसके बावजूद भी वो बीजेपी के दबाव में नहीं आए थे। उनके मुताबिक दोपहर में उनके पार्टी कार्यालय में अचानक शिवराज सिंह पुलिसकर्मियों के साथ पहुंचे और दरवाजा बंद कर उनके उम्मीदवार से दो मिनट तक बातचीत की, फिर उसका हाथ पकड़ कर कमरे से बाहर निकले और अपनी गाड़ी में बैठा लिया। उन्होंने बताया कि हम लोग भी उनकी गाड़ी के पीछे भागे, तब तक मुख्यमंत्री जी की गाड़ी बीजेपी की सभास्थल तक पहुंच चुकी थी। उन्हें पुलिसकर्मियों ने रोक दिया और शिवराज सिंह चौहान ने खुद हमारे उम्मीदवार गौरव सिंह पारधी को बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में समर्थन देने कीघोषणा कर दी। एक और प्रत्यक्षदर्शी अनीस बेग ने आरोप लगाया कि उनके उम्मीदवार की लोकप्रियता के चलते संजय सिंह जो कि मुख्यमंत्री के साले हैं और बीजेपी के उम्मीदवार दोनों की हालत ख़राब चल रही थी। बेग के मुताबिक दोनों प्रत्याशियों को हार से बचाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंहने यह कदम उठाया।
उधर आज तक से बात करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी गौरव सिंह पारधी ने इस मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। वो कैमरे के सामने आए लेकिन हकीकत कहने से बचते रहे। वारासिवनी विधानसभा सीट पर शिवराज सिंह चौहान के साले संजय सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैजबकि कांग्रेस ने अपने जिस पूर्व विधायक का टिकट काट कर संजय सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया इस पूर्व विधायक ने पार्टी से बगावत कर दी। इस पूर्व विधायक प्रदीप जसवाल के चुनावी मैदान में कूद जाने से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के समीकरण बिगड़ गए हैं जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार गौरव सिंह पारधी के भी चुनावी मैदान में होने के चलते बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर वोट विभाजन का खतरा बढ़ गया। लिहाजा शिवराज सिंह चौहान ने निर्दलीय उम्मीद्वार को बीजेपी के पक्ष में बैठा दिया।