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श्रम कानून में ई-कॉमर्स भी!

e-comerceनई दिल्लीः देश में श्रम सुधारों का बिगुल बजाने वाला राजस्थान अब ई-कॉमर्स के कुलांचे भरते कारोबार पर नजर टिका चुका है। राज्य सरकार इसे भी लचीले श्रम कानूनों के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। ई-कॉमर्स कंपनियां फिलहाल किसी भी श्रम कानून के अंतर्गत नहीं आती हैं लेकिन राजस्थान दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (आर.एस.सी.ई.) अधिनियम 1958 में प्रस्तावित संशोधनों में पहली बार ई-कॉमर्स उद्योग को भी शामिल कर लिया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी केंद्रीय कानून में ई-कॉमर्स प्रतिष्ठान के तौर पर परिभाषित नहीं है। प्रस्ताव में कहा गया है, ”कोई भी परिसर, जहां किसी प्रकार का व्यापार अथवा कारोबार अथवा ई-कॉमर्स चल रहा हो और जो दुकान अथवा वाणिज्यिक प्रतिष्ठान के दायरे में नहीं आता हो”, अब प्रस्तावित आर.एस.सी.ई. कानून के दायरे में आ जाएगा।
प्रस्तावों को मंजूरी मिल गई तो कामकाज की बुनियादी शर्तों जैसे कामकाज के घंटे, ओवरटाइम के लिए पारिश्रमिक, साप्ताहिक छुट्टी और पारिश्रमिक के साथ वार्षिक छुट्टियां यानी अर्जित अवकाश के लिए नियम बनाना ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए अनिवार्य हो जाएगा। राजस्थान श्रम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ई-कॉमर्स भारत के लिए बहुत अहम क्षेत्र है और यही वजह है कि उनके लिए किसी दुकान के तौर पर पंजीकरण जरूरी होना चाहिए, जिसके बारे में फिलहाल स्थिति साफ नहीं है।” नियुक्तियों में मदद करने वाली फर्म टीमलीज के चेयरमैन मनीष सबरवाल ने कहा, ”ई-कॉमर्स को श्रम कानून के दायरे में लाना कर्मचारियों की सुरक्षा और बुनियादी कामकाजी स्थितियों के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है।” विशेषज्ञों का कहना है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के राज्यों के कानूनी दायरे में आने के बाद उन्हें राहत मिलेगी।

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