संकटादेवी मंदिर में बच्चे किये गये पुरस्कृत
लखनऊ। गीता परिवार के तत्वावधान में शनिवार को 10 बाल संस्कार शिविरों संचालन किया गया। पीयूष जायसवाल ने बताया कि संकटादेवी मंदिर, रानीकटरा, चौपटिया में व घरौदा, गोमतीनगर में शिविर का समापन किया गया। वहीं दूसरी ओर रामजानकी मंदिर, तोप दरवाजा, चौपटिया में, नया शिव मंदिर, करेहटा में, आनंद पब्लिक स्कूल, बेरी होटल मड़ियांव लखनऊ में शिविर आरम्भ किये गये। संकटादेवी मंदिर में शिविर समापन पर मुख्य अतिथियों में सुरेश चन्द्र पाण्डेय, कोषाध्यक्ष मंदिर समिति, विष्णु त्रिपाठी लंकेश, पूर्व पार्षद रानीकटरा वार्ड, शरद कुमार पाण्डेय, कवि साहित्यकार, डा. आशु गोयल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गीता परिवार, अनुपम मित्तल, मार्गदर्शक गीता परिवार, पी.एन. बाजपेयी, नीरज जायसवाल मौजूद थे। अनामिका मिश्रा के कुशल निर्देशन में बच्चों ने शिविर वृतान्त की मनमोहक छटा बिखेरी। समापन का संचालन ममता रानी रही थी। 5 दिवसीय शिविर में प्रतियोगिता भी कराई गई। ध्रुव साधना में नमन, भगवती स्त्रोत मंे स्नेहा पात्रा, भगवदगीता में श्रेयस पाण्डेय, रामायण के पात्र के नामों में जयवर्धन बाजपेयी, सर्वश्रेष्ठ शिविरार्थी में अंशिका सक्सेना को मुख्य अतिथियों ने पुरस्कृत किया। अनुपम मित्तल ने कृष्णनाम पट्टा और डा. आशु गोयल ने स्मृति चिन्ह मुख्य अतिथियों को भेंट कर स्वागत किया। मनोगत में जयवर्धन, जूही कश्यप शिविर अनुभव बताये कि पाकेटमनी बचाकर दूसरों की मदद, परिवार, समाज की सहायता करने का संकल्प लिया। लंकेश ने कहा कि रानी कटरा को छोटी काशी भी कहा जाता है बच्चे शिविर में संस्कारों की बातों जानकर नवीन ऊर्जा का संचार करेंगे। यदि बड़ा बनना है तो खुद झुककर चलो। श्री पाण्डेय ने कहा कि बच्चों को संस्कारवान बनाने का जो कार्य कर रहे है वह प्रशंसायोग्य है क्योंकि हम अपनी संस्कृति को बहुत पीछे छोड़ आये है।
अन्य जगहों में प्राथमिक विद्यालय, करीमाबाद काकोरी में, ओमकालेश्वर महादेव मंदिर, सी ब्लाक राजजीपुरम में, अन्नपूर्णा मंदिर, सआदतगंज में, गौतम बुद्ध वाटिका, ऐशबाग में, भुइयनदेवी मंदिर मवइया में शिविर चलाये जा रहे है। सभी शिविरों में नवीन उपक्रमों के माध्यम से बच्चों को विविध ज्ञार्नाजन कराया जा रहा है। जिसमें प्रार्थना, ध्यान, भगवद्गीता, भगवती स्त्रोत, विभिन्न प्रांतो व भाषाओं के गीत, आत्मरक्षा के गुर, म्यूजिकल योगसोपान, संपूर्ण वंदेमातम, हनुमान चालीसा का पाठ कराया जा रहा तथा बच्चों ने अपनी-अपनी प्रतिभा से रूबरू करवा रह है।